Sunday, July 3, 2016

बिहार में एनडीए को तोड़ डालेंगे लालू !

जीतनराम मांझी की इफ्तार पार्टी में लालू और तेजस्वी
बिहार में महागठबंधन बनाकर जबर्दस्त ढंग से सत्ता में वापसी करने वाले लालू प्रसाद अब सूबे में एनडीए को तोड़ने में कामयाब होते दिख रहे हैं। लालू इफ्तार पार्टी के बहाने हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी से गलबंहिया कर उन्हें गुरूमंत्र दे आए थे। सूबे की जनता ने लालू के मंत्र का प्रभाव तुरंत देख लिया। मांझी महागठबंधन के कुनबे में शामिल होने को बेताब दिखने लगे हैं। उधर, अंतर्कलह में फंसकर टूटने के कगार पर पहुंच चुकी रालोसपा की परिस्थितियों ने भी लालू की हौसला अफ़जाई कर दी है। इन घटनाक्रमों से उत्साहित लालू ने अपने चिर प्रतिद्वंदी रामविलास पासवान को बूढ़ा घोषित करते हुए एक और पासा फेंका है। ऐसे में अब बिहार में एनडीए उलझता हुआ साफ दिख रहा है।


महागठबंधन को पराजित करने के लिए भाजपा ने बिहार चुनाव में बैकफुट की राजनीति की थी। उसने मांझी, पासवान और कुशवाहा को जरूरत से ज्यादा तवज्जो देकर इसलिए चुनाव लड़ाया था ताकि वो महागठबंधन की तरफ न जा सकें और लालू-नीतीश को पटखनी दे सके। लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा। पासवान, कुशवाहा और मांझी विधानसभा चुनाव में लगभग फ्लॉप साबित हो गए। इस तिकड़ी के चक्कर में भाजपा वो सीटें भी हार गई जिन्हें अपने बूते जीत सकती थी। फलस्वरूप बिहार में भाजपा कमज़ोर हो गई। हालांकि हार के बावजूद मांझी जैसे नेताओं की महत्वाकांक्षा कम नहीं हुै. वे भाजपा से इस चीज की कीमत वसूलना चाहते हैं कि वे महागठबंधन में न जाकर अब तक एनडीए में बने हुए हैं। उधर, राजनीति के धुरंधर और जोड़ तोड़ में माहिर लालू प्रसाद की पैनी नज़र एनडीए पर लगी हुई थी। बस उन्होंने मांझी पर पासा फेंक दिया।

रालोसपा के बागी सांसद अरूण कुमार
भाजपा ने पासवान और कुशवाहा को तवज्जो देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दे तो दी थी। लेकिन मांझी को बस आश्वासन का झुनझुना थमा दिया। तब से लेकर अब तक मांझी उस झुनझुने से खेलते-खेलते ऊब चुके हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह, राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी समेत कई उम्मीदों के टूटने के बाद अब उनका एनडीए से मोह भंग होता जा रहा है। उन्होंने दबाव की राजनीति करते हुए कई बार भाजपा को धमकी भी दी लेकिन पार्टी उनके दबाव में नहीं आई। आखिरकार लालू से गलबंहियां करने के बाद उन्होंने महागठबंधन से दिल मिलने के संकेत देकर अब ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया है। लालू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की वकालत करके अपनी चाल चल दी है। भाजपा इस पर भी नहीं झुकी तो मांझी लालू के हमकदम हो चलेंगे।

उधर, एनडीए के दूसरे घटक रालोसपा में घमासान चरम पर है। कभी नीतीश पर अहंकारी और स्वयंभू बन बैठने का आरोप लगाने वाले उपेंद्र कुशवाहा अब खुद अपने ही सांसद अरूण कुमार की तरफ से वही आरोप झेल रहे हैं। अरूण कुमार ने पार्टी में टूट के पुख्ता संकेत दे दिए हैं। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर बिहार में ये एनडीए की टूट मानी जाएगी। लालू की नज़र इस प्रकरण पर भी है। इतना ही नहीं लालू ने पासवान को बूढ़ा बताकर उन्हें नाकारा साबित करने की कोशिश की है। इसके पीछे भी लालू की मंशा एनडीए को कमज़ोर साबित करने की है।


लोजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान
उधर, यूपी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व बिहार के घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो नहीं दे पा रहा है। बिहार में मिली हार की भरपाई यूपी में करने की कवायद में भाजपा बिहार की साख को दांव पर लगाती जा रही है। प्रदेश का कमज़ोर नेतृत्व फिलहाल लालू और महागठबंधन के नहले पर दहला मारने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। ऐसे में ये आशंका है कि धीरे धीरे बिहार में एनडीए को तोड़कर महागठबंधन नई राजनीतिक ताकत न खड़ी कर ले। अगर ऐसा होता है तो लालू प्रसाद को ये श्रेय मिलेगा।

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