Monday, February 27, 2017

नीतीश सरकार पर बड़ा खतरा बने शिक्षा-परीक्षा के घोटालेबाज !

बीेएसएससी पेपर लीक कांड की जांच (फोटो साभार)
बीएसएससी पेपर लीक कांड की जांच बिहार सरकार के लिए मुसीबत की जड़ बन गई है। राज्य सरकार की जांच एजेंसियां मामले में जितनी गहराई तक पहुंच रही हैं, उन्हें हैरानी-परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार को इस जांच में हर कदम इतनी सावधानी के साथ रखना पड़ रहा है जैसे कि वे बारूद की ढेर पर नंगे पांव चल रहे हों। इस कांड में संलिप्त होने के आरोप ब्यूरोक्रेट्स से लेकर विधायक व मंत्री तक पर हैं। कहा यह जा रहा है कि ‘परमेश्वर’ को ‘चढ़ावा’ चढ़ाने वाले हर दल व ब्यूरोक्रेट्स के लोगों को उनका ‘आशीर्वाद’ बिना किसी भेदभाव के मिला था। खुद ‘परमेश्वर’ ने अपने ‘लाभार्थी भक्तों’ के नाम जांच एजेंसियों को गिनाए थे। जानकारों का मानना है कि इनमें से कई नाम ऐसे भी हैं जिनकी जड़ें प्रशासन व सरकार में बहुत गहरी हैं। जानकारों का ये भी कहना है कि अगर ‘उन जड़ों’ को काटने की कोशिश की गई तो सरकार के गिरने का खतरा प्रबल है।

Friday, February 24, 2017

नीतीश को बिहार से बाहर करने की तैयारी में लालू !

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद व तेजस्वी प्रसाद यादव (चित्र साभार)

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद व उनकी पत्नी राबड़ी देवी की, अपने पुत्र व बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव को, जल्द से जल्द सीएम की कुर्सी पर बैठे देखने की इच्छा बलवती हो गई है। पिछले दो दिनों में आए राबड़ी देवी के बयान, उस पर जदयू नेताओं का पलटवार और तेजस्वी व खुद राबड़ी की नपी-तुली सफाई ने बिहार की बदलती राजनीतिक स्थिति के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। सामान्य आदमी भले ही समझे कि यह मां-बाप की स्वाभाविक इच्छा होगी, लेकिन जानकारों ने इसे लालू एंड फैमिली की सोची-समझी रणनीति करार दिया है। देश में बन रहे नए राजनीतिक समीकरण और नीतीश के बदलते मिजाज को देखते हुए लालू ने भी कार्यकर्ताओं व अपने मतदाताओं के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करने की रणनीति के तहत कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। आइए जानते हैं कि लालू एंड फैमिली के बिहार के सीएम की कुर्सी को लेकर छोड़े गए नए शिगूफे के क्या हैं राजनीतिक मायने।

Sunday, February 19, 2017

जाति की जमात में लालू ने दिखाई नीतीश को ताकत

ब्रह्मलीन तपस्वी बाबा नारायण दास की प्रतिमा पर सिर झुकाते लालू

लालू प्रसाद पूरे फॉर्म में आ गए हैं। अपने ताजा भाषण में उन्होंने कहा है कि ‘बिहार विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हमने जीती हैं। उसके बाद नीतीश और कांग्रेस ने।’ सीतामढ़ी के बगही धाम में यादव वोटरों की बेतहाशा भीड़ को अपने सामने पाकर लालू का जबर्दस्त उत्साह देखते ही बन रहा था। उन्होंने भाजपा पर प्रहार तो किया ही, इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार को भी अपनी ताकत दिखा दी। महागठबंधन सरकार बनने के बाद ऐसा माना जाने लगा था कि लालू अपने बेटों के सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए नीतीश के आगे हर मोर्चे पर मतमस्तक होने लगे हैं। लेकिन सीतामढ़ी की सभा मॆं उनका बदला हुआ रूप दिखा। उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव के बाद वे बड़ा आंदोलन करेंगे। राजनीतिक जानकार इसके कई मायने लगा रहे हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं इस पूरे विश्लेषण में।

Thursday, February 16, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने बचाई नीतीश की साख, लालू से बढ़ेगी खटास !

शहाबुद्दीन (साभार फोटो)
सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख बचा ली है। इससे पहले जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को जेल से बरी करने का फैसला सुनाया था तो नीतीश कुमार और उनकी सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। उनकी साख पर बट्टा लग गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार का राजनीतिक परिदृश्य कितना बदलेगा, शहाबुद्दीन के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहकर सिवान पर राज करना कितना मुश्किल होगा और लालू के नीतीश के साथ रिश्ते पर इस फैसले का कितना असर पड़ेगा, इस पर राजनीतिक कयास लगने शुरू हो चुके हैं। आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि शहाबुद्दीन का सिवान से दूर जाना बिहार की राजनीति में कितना बदलाव लेकर आएगा।

Friday, February 10, 2017

किस डिटर्जेंट से धुलेंगे बिहार को लालकेश्वर व परमेश्वर के दिए दाग़

साभार फोटो

प्रतिभावान बिहार की उज्ज्वल छवि पर कालिख पोतने वाले लालकेश्वर की चर्चा अभी जारी ही थी कि परमेश्वर नाम का एक और काला अध्याय यहां लिख दिया गया। इंटर टॉपर घोटाले की जांच अभी चल रही है। मामला अदालत में है। अब बिहार कर्मचारी चयन आयोग के भीतर से जो कालिख निकल रही है उसने फिर से सूबे की छवि पर काला दाग़ लगा दिया है। सूबे में शिक्षा की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास कर रही नीतीश कुमार की सरकार एक बार फिर निशाने पर आ गई है। आखिर कौन सी वजहें हैं जिसने अपनी नाक के नीचे पल रहे लालकेश्वरों व परमेश्वरों पर समय रहते लगाम लगाने से नीतीश कुमार चूक रहे हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं इस विश्लेषण में।

Monday, February 6, 2017

नीतीश ‘कमल’ खिलाएंगे या देंगे ‘हाथ’ का साथ

कलाकार के चित्र में रंग भरते नीतीश (साभार फोटो)
पटना में एक कलाकार की कलाकृति ‘कमल’ में रंग भर देने भर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार फिर सुर्खियों में हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि ऐसा करके नीतीश ने भाजपा की तरफ अपना रुझान जाहिर कर दिया है। इसके पहले राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए नीतीश यूपी में चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं। मीडिया व राजनेता चाहे जो कहें, लेकिन गौर से देखें तो यह भाजपा की ओर झुकाव का स्पष्ट संकेत नहीं हैं। बल्कि एक शिगूफा है जिसे नीतीश गाहे-बगाहे अपने सहयोगियों को अपना राजनीतिक महत्व समझाने के लिए छोड़ते रहते हैं। बिहार में उनका कांग्रेस व राजद के साथ गठबंधन कायम है। सरकार चल रही है। तो फिर इन संकेतों के दूरगामी मायने क्या हैं, यह समझना जरूरी है। आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।