Saturday, September 2, 2017

बिहारः क्यों टूट के दरवाजे पर खड़ी है कांग्रेस

कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस (साभार फाइल फोटो)
बिहार में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग क्या हुए, महागठबंधन का कुनबा ही बिखर गया लगता है. एक तरफ लालू जहां अपने जनाधार को बचाए रखने की कसरत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस टूट के कगार पर पहुंच चुकी है. चर्चा है कि 27 में से 14 विधायकों ने बगावत कर दी है. वे जदयू में शामिल होने की तैयारी में हैं. लेकिन दल बदल कानून के तहत एक साथ 18 विधायकों के टूटने के बाद ही उन्हें मान्यता मिल सकती है. ऐसे में उन्हें चार अन्य विधायकों के अपने पाले में आने का इंतजार है. उधर, अंदरखाने में पक रही इस खिचड़ी से केंद्रीय नेतृत्व सकते में है. उसने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को दिल्ली तलब कर कई निर्देश दिए हैं. राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि देर-सबेर कांग्रेस का यह हश्र होना ही था. कांग्रेस की टूट के क्या हैं मायने, किसकी है यह रणनीति और बिहार में क्या होंगे इसके राजनीतिक परिणाम, आइए इस विश्लेषण में जानते हैं.

Thursday, August 31, 2017

बिहारः नीतीश कुमार बनेंगे भारत के उपप्रधानमंत्री!

पीएम मोदी और नीतीश (साभार फाइल फोटो)
एनडीए में जदयू की वापसी नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए कई सौगातें लेकर आई है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावत तो मिली ही है, चर्चा है कि भाजपा नीतीश को उप प्रधानमंत्री बनने का ऑफर दे रही है. यह 2019 चुनावों के आसापास हो सकता है. बिहार में हर हाल में जीतने की कोशिश के तहत ऐन चुनाव के पहले भाजपा नीतीश को इस महत्वपूर्ण पद के तोहफे के साथ केंद्र में बुला सकती है. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

Monday, August 28, 2017

बिहारः लालू की रैली में जुटी भीड़ क्या उन्हें वोट भी देगी

लालू की रैली में जुटी भीड़ (साभार फाइल फोटो)
पटना में रविवार को संपन्न लालू की ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ महारैली में खासी भीड़ जुटी. इसने यह साबित किया कि लालू अब भी भीड़ जुटाने में माहिर हैं. उनका कैडर वोट बैंक भले ही दरक गया हो, लेकिन अब भी कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने का उनका मैनेजमेंट गजब का है. अब अहम सवाल यह है कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह भीड़ क्या वोट में बदल पाएगी. लालू अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके सामने अपने बेटों को स्थापित करने की चुनौती है. सारा दारोमदार छोटे बेटे तेजस्वी पर टिका है. वे लालू की तरह तेज-तर्रार नेता की छवि में फिट भी हो रहे हैं. लेकिन जब तक चुनाव में सत्ता पाने लायक या उसे प्रभावित करने लायक जीत हासिल नहीं करेंगे तब तक उनकी लड़ाई का कोई मतलब नहीं रह जाता.

Saturday, August 26, 2017

बिहार: थके-हारे नेताओं के बूते पटना रैली में तेजस्वी का कद बढ़ाएंगे लालू

लालू की रैली की होर्डिंग (साभार फाइल फोटो)
पटना के गांधी मैदान में रविवार को लालू की ‘देश बचाओ, भाजपा भगाओ’ महारैली को प्रमुख विपक्षी पार्टियों की खास तवज्जो नहीं मिली है. रैली में न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहुंच रही हैं और न ही उपाध्यक्ष राहुल गांधी. बीएसपी प्रमुख मायावती भी नहीं आएंगी. कांग्रेस की ओर से महासचिव सीपी जोशी और बीएसपी की ओर से महासचिव सतीश चंद्र मिश्र आएंगे. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला आएंगे. इस रैली पर भाजपा बिहार में आयी भीषण बाढ़ को लेकर पहले ही सवाल खड़े कर चुकी है. उधर, बाबा राम रहीम प्रकरण को लेकर देश के उत्तरी इलाके दो दिनों से जल रहे हैं. इन परिस्थितियों में भी लालू की सबसे बड़ी चिंता रैली को सफल बनाने और अपने बेटे तेजस्वी को विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में स्वीकार्यता दिलाने की है.

Thursday, August 10, 2017

बिहारः क्या नीतीश का विकल्प बनकर उभरेंगे शरद यादव

शरद यादव व नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
बिहार में जदयू का राजद-कांग्रेस के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाना वरिष्ठ नेता शरद यादव को नहीं भाया. वे इसका विरोध कर चुके हैं. वे नीतीश के फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस समेत कुछ कम्युनिस्ट नेताओं से मिले और और अपनी राय रखी. हालांकि उन्होंने लालू के उस आमंत्रण को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्हें राजद में शामिल होने का न्योता मिला था. शरद यादव फिलहाल बिहार में हैं और वे सारण जिले के सोनपुर से मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मधुबनी होते हुए अपने चुनाव क्षेत्र मधेपुरा तक की सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं. दरअसल इस यात्रा के माध्यम से वे अपने जनाधार को भांपना चाहते हैं. वे यह भी जांचना चाहते हैं कि जदयू के इस फैसले के बाद कौन-कौन से नेता और आम लोगों की कितनी भीड़ उनके साथ आती हैं. उनके मन में विपक्ष में रहते हुए, नीतीश जो विरासत छोड़ गए, उस पर कब्जा करने की इच्छा है.

Tuesday, August 1, 2017

बिहारः शरद यादव और उपेंद्र कुशवाहा के बूते नीतीश-मोदी से लड़ेंगे लालू

शरद यादव व लालू (साभार फाइल फोटो)
बिहार की सत्ता हाथ से जाने के बाद लालू प्रसाद और उनका परिवार अपने जीवन के एक और मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं. एक तरफ घोटालों व अनियमितताओं पर उन पर सीबीआइ, इडी और आयकर विभाग का शिकंजा है तो दूसरी तरफ राजनीतिक साख बचाए रखने की चुनौती. फिलहाल राजनीतिक तौर पर उनकी जमा-पूंजी उनका जातीय समीकरण वाला वोट बैंक ही बचा है, जिसे जानकार अब भी काफी मजबूत मानते हैं. इसलिए लालू अब नए सिरे से बिहार और देश में विपक्ष और खुद को मजबूत बनाने की कवायद में जुट गए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वे नीतीश से नाराज चल रहे शरद यादव को राष्ट्रीय स्तर पर तो उपेंद्र कुशवाहा को बिहार में नेता बनाकर पेश करना चाहते हैं. वे एनडीए के एक और रूठे साथी जीतन राम मांझी को भी अपने साथ लाने की कवायद में हैं.

Thursday, July 27, 2017

बिहारः नीतीश के पाला बदलने के बाद क्या टूटेगा जदयू !

शरद यादव (साभार फाइल फोटो)
नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलकर एनडीए में शामिल होने के बाद जदयू में फूट की आशंका जताई जा रही है. अली अनवर और शरद यादव के नेतृत्व में असंतुष्ट विधायकों की बैठक दिल्ली में बुलाए जाने की संभावना जताई जा रही है. इसको देखते हुए नीतीश कुमार ने इस्तीफे के तुरंत बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा कर दिया था. रातो-रात शपथ ग्रहण का समय तय कर दिया गया. गुरुवार की सुबह नीतीश और सुशील मोदी ने शपथ ले भी ली. उधर, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार नीतीश और भाजपा पर हमले कर रहे हैं. उन्होंने राज्यपाल की भूमिका पर भी टिप्पणी की है. सत्ता जाने से बौखलाए राजद के पास जदयू को तोड़ने की कोशिश के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है. उधर, जदयू भी खामोश नहीं बैठी है. टूट या तोड़ने की खबर के पीछे दरअसल नेताओं के व्यक्तिगत नफे-नुकसान की भावना भी काम कर रही है.

बिहारः भाजपा का लालू परिवार पर वार, अबकी बार आर या पार !

तेजस्वी, लालू व राबड़ी (साभार फाइल फोटो)
करीब चार साल बेदखल रहने के बाद आखिरकार भाजपा बिहार में सत्ता में वापस आ गई है. इस बार उसे सीधे लालू से पंगा लेना पड़ा. उसने भ्रष्टाचार पर वार के बहाने नीतीश को अपने खेमे में करने की कवायद शुरू की. उसने नीतीश को एनडीए में लौटने की वजह दी या कहें कि मजबूर किया. लालू का परिवार भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह घिर चुका है. भाजपा की रणनीति उसे किसी भी तरह से इस चक्रव्यूह से निकलने से रोकने की होगी. लालू, राबड़ी, मीसा, तेजस्वी समेत परिवार का हर महत्वपूर्ण सदस्य कानूनी तौर पर फंस चुका है. उनका इससे निकल पाना बेहद मुश्किल है. हालांकि मामले का दूसरा पक्ष यह भी है कि सारे आरोपों के बावजूद लालू का जनाधार बिहार में कम नहीं हुआ है. पिछले कई उदाहरण हैं जिनमें वे संकट से निकलकर फिर से सत्ता में आते रहे हैं.

Saturday, July 22, 2017

बिहारः कितनी बची है नीतीश-लालू-कांग्रेस के महागठबंधन की मियाद

नीतीश, राहुल व सोनिया (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन पर जारी महाभारत फिलहाल थमा हुआ है. सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद अभी यथास्थिति बनी हुई है. लालू फिलहाल चारा घोटाले के केस की सुनवाई में पटना-रांची एक किए हुए हैं. तेजस्वी बेनामी संपत्ति मामले में सीबाआइ के चंगुल से निकलने के लिए वकीलों की राय लेने दिल्ली रवाना हो रहे हैं. इन सबसे अलग नीतीश कुमार अपना कद और वजन लगातार चेक कर रहे हैं. हम देह के नहीं राजनीतिक कद और वजन की बात कर रहे हैं. फिलहाल वे दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के भोज के लिए निकले हैं. इन दिनो एक सवाल बिहार की राजनीति पर मंथन करने वालों के जेहन में उमड़-घुमड़ रहा है- आखिर महागठबंधन की मियाद कितनी बची है.

Wednesday, July 19, 2017

बिहारः कांग्रेस के साथ नीतीश की डील ! बच गया महागठबंधन !

अशोक चौधरी, नीतीश व लालू (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन पर जारी सियासी बवाल थम गया लगता है. मंगलवार की शाम कैबिनेट की मीटिंग के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष सह शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले. तीनों के बीच बंद कमरे में करीब 50 मिनट तक हुई बातचीत के बाद नीतीश के तेवर नरम पड़ गए हैं. इसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है. राजनीतिक जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ बड़ी डील कर रहे हैं. उन्हें बिहार में महागठबंधन सरकार बचाने के एवज में यूपीए में बड़ा पद मिल सकता है. उधर, महागठबंधन में हलचल पर नजर गड़ाए भाजपा नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इस मुलाकात के बाद टिप्पणी की- सरकार बचाने के लिए क्या नीतीश कुमार अब इस्तीफे पर फुल टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं.

Tuesday, July 18, 2017

उपराष्ट्रपति चुनावः गोपाल कृष्ण गांधी को मात देंगे वेंकैया नायडू !

वेंकैया नायडू, एनडीए के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी (साभार फाइल फोटो)
उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी वेंकैया नायडू मजबूत और एकजुट विपक्ष के साझा प्रत्याशी गोपाल कृष्ण गांधी को मात दे सकते हैं. भाजपा ने इसके लिए रणनीति बना ली है. उसने दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश से उम्मीदवार चुना है. उसे उम्मीद है कि दक्षिण में विपक्ष के कई सांसदों को वह वेंकैया के नाम पर लुभा लेगी. वेंकैया नायडू राष्ट्रपति प्रत्याशी रामनाथ कोविंद की तरह ही साफ-सुथरी छवि और भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं. वे राज्यसभा में लगातार कई टर्म चुनकर जाते रहे हैं. इसलिए वे सरकार के अल्पमत वाले इस सदन को बेहतर ढंग से चला सकते हैं. उधर, विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी महात्मा गांधी के पौत्र हैं. वे भी साफ-सुथरी छवि के नेता माने जाते हैं.

Monday, July 17, 2017

उपराष्ट्रपति चुनावः गोपाल कृष्ण गांधी पर भाजपा जताएगी भरोसा !

गोपाल कृष्ण गांधी, विपक्ष के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी (साभार फाइल फोटो)
राष्ट्रपति चुनाव में जीत पक्की करने के बाद भाजपा अब उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी के नाम पर मंथन कर रही है. लेकिन इस बार कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने अपनी पिछली राष्ट्रपति प्रत्याशी वाली भूल सुधारते हुए महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित कर दिया है. गांधी को जदयू समेत लगभग पूरे विपक्ष ने समर्थन दे दिया है. संभावना यह बन रही है कि भाजपा अपना प्रत्याशी खड़ा न कर  गोपाल कृष्ण गांधी को समर्थन दे देगी. दूसरी संभावना अपना प्रत्याशी उतारकर लड़ने की है. भाजपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.

Saturday, July 15, 2017

बिहारः अब कभी भी टूट सकता है नीतीश-लालू का महागठबंधन

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद व बिहार के सीएम नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
बिहार में ढाई साल से चल रही महागठबंधन सरकार कभी भी गिर सकती है. राजद और जदयू में तल्खी निर्णायक मोड़ पर जा पहुंची है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सुलह कराने की कोशिशें काम नहीं आईं. लालू ने सोनिया से फोन पर किसी भी बातचीत के होने से ही इनकार कर दिया. वे अपने राजनीतिक वारिश तेजस्वी यादव के बिहार के उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफे को तैयार नहीं हैं. उधर, नीतीश कुमार इस्तीफे से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं. लालू ने स्पष्ट कर दिया है कि वे महागठबंधन तोड़ने की पहल नहीं करेंगे. लेकिन तेजस्वी के सवाल पर कोई समझौता भी नहीं करेंगे. वे 27 अगस्त को राजद की रैली में सारे सवालों के जवाब देंगे.

Friday, July 14, 2017

बिहारः नीतीश होंगे 2019 में विपक्ष के पीएम उम्मीदवार ! सोनिया ने चला दाव !

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन की टूट की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस कदर चिंता है कि उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी का भविष्य भी दाव पर लगा दिया है. खबर आ रही है कि नीतीश और लालू के साथ बातचीत में उन्होंने महागठबंधन को बचाने के लिए मध्य मार्ग अपनाने की सलाह दी है. किसी ऐसी युक्ति पर काम करने की सलाह दी है जिससे नीतीश की इच्छा भी पूरी हो जाए और महागठबंधन भी बचा रहे. इसके तहत लालू तेजस्वी का इस्तीफा लेकर अपने परिवार के किसी दूसरे सदस्य को उप मुख्यमंत्री बनवा सकते हैं. खबर है कि नीतीश को लुभाने के लिए सोनिया गंधी ने अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक दाव खेला है. उन्होंने नीतीश कुमार को यूपीए में बड़ा पद देने और फिर वर्ष 2019 के चुनाव में पीएम पद का प्रत्याशी बनाए जाने पर विचार करने का आश्वासन दिया है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी पीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. हालांकि यह पर्दे की पीछे का खेल बताया जा रहा है. इसकी आधिकारिक पुष्टि न तो कांग्रेस और न ही जदयू ने की है. लेकिन सोनिया के इस दाव के बाद बिहार में राजद पर हमलावर हुआ जदयू अब नरम पड़ गया है. अगर सच में कांग्रेस की तरफ से नीतीश को यह बड़ा निमंत्रण मिला है, तो आने वाले दिनों में इसका स्पष्ट संकेत भी मिल जाएगा.

अब उड़कर पहुंचेंगे पटना से दरभंगा, भागलपुर और पूर्णिया

दरभंगा में एयरफोर्स के हवाई अड्डे पर पीएम नरेंद्र मोदी (साभार फाइल फोटो)
लंबे इतजार के बाद केंद्र और बिहार सरकार ने बिहार के दूसरे दर्जे के शहरों के हवाई अड्डों से नॉन शिड्यूल विमान सेवा शुरू किये जाने को हरी झंडी दे दी है. शुक्रवार को इस संबंध में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री अशोक गणपति राजू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर होंगे. बिहार सरकार की तरफ से कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा और नागर विमानन मंत्रालय की तरफ से संयुक्त सचिव उषा पाडी मौजूद रहेंगी. नागर विमानन मंत्रालय के सचिव आरएन चौबे, एयरपोर्ट अथॉरिटी के चेयरमैन डा. जीपी महापात्र भी मौजूद रहेंगे.

बिहारः महागठबंधन तोड़ने को बेकरार जदयू, तो टूटेगी पार्टी भी...

जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन की टूट अब निश्चित लगने लगी है. जदयू लगातार हमलावर है तो राजद रक्षात्मक मुद्रा में. शुक्रवार को जदयू प्रवक्ता नीरज ने सीधे-सीधे लालू से सवाल किया कि वो बताएं कि इतनी संपत्ति कहां से लाए. यह संकेत है कि नीतीश अब अलगाव के रास्ते पर बढ़ चले हैं. लेकिन यदि महागठबंधन टूटता है तो दोनों ही पार्टियों पर टूट का खतरा होगा. जिन विधायकों या मंत्रियों को सत्ता सुख से वंचित रहना गवारा नहीं, वे बिना देर किए पाला बदलने को तैयार बैठे होंगे. हालांकि दोनों ही पार्टियां यह दावा कर रही हैं कि महागठबंधन टूटने पर वे सरकार बना लेंगीं. जैसे दोनो को एक-दूसरे को तोड़ लेने का पुख्ता विश्वास है.

Thursday, July 13, 2017

बिहारः भाजपा का कसता शिकंजा, महागठबंधन को कब तक ढोएंगे नीतीश


प्रतीकात्मक साभार फाइल फोटो
बिहार की महागठबंधन सरकार आखिरी सांसे गिन रही है. कानूनी मुसीबत में घिरे लालू परदे के पीछे से इसे बचाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं. हालांकि ऊपर से उनकी ठनक काफी हद तक अभी बरकरार है. उधर, नीतीश के लिए महागठबंधन बनाए रखना सांप-छुछुंदर के हाल जैसा बनता जा रहा है. वे इसे उगल देने या निगले रखने की दुविधा में हैं. इस खेल में पावरफुल रेफरी की भूमिका में भाजपा है, जो हर हाल में इस गेम को जल्द ओवर करने की फिराक में लगी है. इस बीच अब इतना तो तय हो गया है कि वक्त से पहले बिहार की सियासत का यह गेम ओवर हो जाएगा.

Wednesday, July 12, 2017

बिहारः तेजस्वी नहीं, नीतीश देंगे इस्तीफा !

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार (साभार फाइल फोटो)
बिहार में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच धीरे-धीरे स्पष्ट होता जा रहा है कि महागठबंधन सरकार पर गहरे संकट के बादल हैं. दोनो बड़े सहयोगी नीतीश और लालू में ठन चुकी है. लालू ने अपनी सत्ता व परिवार बचाने के लिए नीतीश को काफी ढील दी. लेकिन जब परिवार और सत्ता दांव पर लग गए तो वे राजनीतिक साख बचाने के लिए महागठबंधन को तिलांजलि देने को भी तैयार हो गए हैं. उपमुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी यादव के इस्तीफे की जदयू की मांग को उन्होंने ठुकरा दिया है. जदयू के चार दिनों के इस्तीफे के अल्टीमेटम को लालू ने चार घंटे में ही खारिज कर दिया. इन सबके बीच कांग्रेस की ओर से महागठबंधन बचाने की कोशिशें जारी हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चार दिनों बाद महागठबंधन सरकार का क्या भविष्य होगा, अगर यह सरकार चली जाती है तो बिहार में किसकी सरकार बनेगी. आइए, इसका विश्लेषण करते हैं.

Tuesday, July 11, 2017

क्या नीतीश करेंगे आर-पार का फैसला

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार (साभार फाइल फोटो)
बिहार की राजनीति में जारी हलचल धीरे-धीरे भूचाल की ओर बढ़ रही है. बेनामी संपत्ति मामले में फंसा लालू का परिवार अब भी इस मुगालबे में है कि वह किसी न किसी दाव-पेच से फौरी तौर पर इस मुसीबत से निकल ही जाएगा. लालू ने नीतीश को दो टूक जवाब दे दिया है कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे. उधर, लालू के इस दो टूक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन के भारी दबाव में आ गए हैं. उन्हें विपक्ष ने आर या पार रहने की चुनौती दे डाली है. विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए गोपाल कृष्ण गांधी का नाम तय कर दिया गया है. उनके लिए विपक्ष के इस फैसले के साथ जाना सहज नहीं होगा. अब नीतीश के लिए ‘एक रास्ता’ चुनना उनकी मजबूरी होगी. या फिर सत्ता का मोह छोड़ सरकार गिराकर मध्यावधि चुनाव में जाना होगा.

Monday, July 10, 2017

मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ रहा बिहार

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पीएम नरेंद्र मोदी व बिहार के सीएम नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन के सबसे बड़े सहयोगी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, राज्यसभा सांसद बेटी मीसा भारती और उप मुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के चल रहे मामलों से परिवार और पार्टी दोनो संकट में हैं. दूसरे सहयोगी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर न्यूट्रल रुख अख्तियार कर चुके हैं. इस बीच लालू ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया है. पिछले कई महीनों से महागठबंधन की मर्यादा से बाहर जाकर किए गए नीतीश के कई चौंकाने वाले फैसलों से महागठबंधन पहले ही कमजोर हो चुका है. ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार लालू व उनके परिवार के राजनीतिक अवसान को आखिर-आखिर तक देखना चाहते हैं. वे महागठबंधन को उसकी मौत मरने देना चाहते हैं. ऐसे में लालू सत्ता का मोह छोड़ जनता के बीच जाने की राह अख्तियार कर सकते हैं. तब बिहार में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. भाजपा भी इसी का इंतजार कर रही है.

Sunday, July 9, 2017

बेंगलुरू-हैदराबाद नहीं, झारखंड के जंगलों से चलता है साइबर क्राइम का राज

साइबर अपराध के आरोपितों को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस (साभार फाइल फोटो)
झारखंड के देवघर जिले के सारठ के इलाके में बीपीएल परिवार का एक व्यक्ति संदीप महरा कीमती प्लॉट खरीदकर आलीशान मकान बना रहा है. महज कुछ सालों पहले तक वह खेत मजदूर था. उसके पास अपनी झोपड़ी के अलावा कोई जमीन तक नहीं थी. न तो उसकी कोई लॉटरी लगी और न ही किसी व्यवसाय में उसे कोई फायदा हुआ. बावजूद उसकी यह चमत्कारिक तरक्की हैरत में डालती है. करीब दो साल पहले पुलिस साइबर क्राइम के आरोप में उसके घर छापेमारी के लिए पहुंची थी. लेकिन गांव के लोगों को इस बात का विश्वास नहीं हुआ और उसे पुलिस से झड़प करके छुड़ा लिया गया था.

Monday, May 1, 2017

द लास्ट मुगल- दरभंगा राज में जलता रहा मुगल सल्तनत का आखिरी चिराग

दरभंगा के दिग्घी तालाब के किनारे जुबैरुद्दीन गोगरन की मजार
1857 का विद्रोह असफल हो गया था। मुगल सल्तनत के आखिरी शहंशाह बहादुरशाह जफर कैद कर लिए गए थे। अंग्रेजों ने उनके बेटों का सिर काटकर थाली में उनके सामने पेश किया। शायर दिल शहंशाह जीते जी मर गए। वह अपने सबसे बड़े पोते जुबैरुद्दीन गोगरन को शहजादा घोषित करना चाहते थे। उसके बाद जुबैरुद्दीन हिंदुस्तान के शहंशाह होते। लेकिन अब सिंहासन जा चुका था। जुबैरुद्दीन को तिल-तिलकर मरने के लिए अंग्रेजों ने दिल्ली से तड़ीपार कर दिया। हुक्म यह भी था कि वह हिंदुस्तान में तीन साल से ज्यादा किसी एक जगह नहीं रह सकते थे। मुगल साम्राज्य का वह आखिरी चिराग खानाबदोश जिंदगी जीने लगा। कुछ ही सालों के बाद काशी में जुबैरुद्दीन की मुलाकात दरभंगा के महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह से हुई। जब महाराजा से उनका परिचय हुआ तो महाराजा सम्मान में उठ खड़े हुए। लक्ष्मेश्वर सिंह के लिए जुबैरुद्दीन आदरणीय थे। राज दरभंगा उन्हीं के पूर्वज बादशाह अकबर ने दान में दिया था।

Friday, April 28, 2017

इन राजाओं ने नहीं बचाई दौलत, छोड़कर गए दुर्लभ पांडुलिपियां और किताबें

सेमिनार में बोलते एलएनएमयू के कुलपति डॉ. एसके सिंह
मिथिला बिहार का मस्तक है और राज पुस्तकालय यहां की विरासत है। मिथिला की विरासत कितनी महत्वूपर्ण है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि जब बिहार सरकार ने ‘बिहार गौरव’ नामक पुस्तक प्रकाशित की तो 800 पेज की पुस्तक में से 500 पेज मिथिला को ही समर्पित हैं। राज पुस्तकालय में अति दुर्लभ पुस्तकें, पांडुलिपियां आदि है, पर वो तालाबंद हैं। पुस्तकों-पांडुलिपियों को ताला लगाकर चोरी होने से तो बचाया जा सकता है पर नष्ट होने से नहीं। इसलिए राज लाईब्रेरी की पुस्तकों को संरक्षित करना अति आवश्यक है। उक्त बातें स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान संस्था की ओर से आयोजित ‘‘राज पुस्तकालय एवं संग्रहालयः शोध एवं पर्यटन केंद्र’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए बिहार राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि यहां उपलब्ध पुस्तकों, पांडुलिपियों आदि के बारे में विश्वविद्यालय की बेवसाइट पर पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, ताकि बाहर के शोधार्थियों को आसानी से पता चल सके।

Thursday, April 27, 2017

पूरा हुआ सपना, ढाई हजार में करिए एक घंटा विमान का सफर

उड़ान स्कीम का पोस्टर (फोटो साभार)
देश में सस्ती विमान सेवा का सपना देख रहे लोगों के लिए गुरुवार का दिन खुशियां लेकर आया है। उन्हें ढाई हजार में एक घंटा का हवाई सफर करने का मौका मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में इस सेवा की शुरुआत की है। यह सेवा एलाइंस एयर की ओर से है। फिलहाल दिल्ली-शिमला-हैदराबाद रूट पर शुरू हुई है। जल्द ही यह देश के अन्य हवाई अड्डों से शुरू होगी। इसके शुरू होने से हवाई सेवा के मामले में पिछड़े बिहार और यूपी के लोगों की भी उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन करते हुए कहा कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई सफर कर सके, यह उनका सपना है।

Wednesday, April 26, 2017

जीय हो बिहार के लाल, कर देहल दिल्ली में कमाल...

लोगों को संबोधित करते मनोज तिवारी (साभार फाइल फोटो)
दिल्ली के सभी तीनों नगर निगमों के चुनाव में भाजपा जबर्दस्त बहुमत लेकर आई है। उसने कांग्रेस और आप को दूसरे और तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। यह कमाल कर दिखाया है बिहार के लाल मनोज तिवारी ने। मनोज मूल रूप से भोजपुरी फिल्मों और स्टेज शो के कलाकार हैं। उन्हें पहली बार दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद की जवाबदेही मिली थी। उन पर 35 फीसद बिहारी और पूर्वी यूपी के वोटरों को अपने समर्थन में करने की जवाबदेही थी। ये वोटर परंपरागत रूप से कांग्रेस के रहे हैं और आम आदमी पार्टी की लहर में अरविंद केजरीवाल के साथ चले गए थे। मनोज अपनी पहली ही पारी में टीम मोदी में अपनी जगह पक्की कर गए।

सोनिया गांधी होंगी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार !

सोनिया गांधी (साभार फाइल फोटो)
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हो सकती हैं। कांग्रेस राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर देश भर में विपक्ष को गोलबंद करने में लगी है। पार्टी सोनिया गांधी को एनडीए के प्रत्याशी के खिलाफ उतारने की भी तैयारी कर रही है। इसके लिए देश के क्षेत्रीय दलों से बातचीत चल रही है। खास तौर पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शरद यादव से उनकी मुलाकात इस विषय पर हुई है।

निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाएगी बिहार सरकार

निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन करते अभिभावक और बच्चे  (साभार फाइल फोटो)
निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगने की उम्मीद जगी है। बिहार सरकार ने अभिभावकों और स्वयंसेवी संगठनों के बढ़ते दबाव की वजह से देश के दूसरे राज्यों की तरह यहां भी निजी स्कूलों को कानूनी दायरे में लाने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली और राजस्थान जाकर शिक्षा विभाग के अधिकारी वहां के कानूनों का अध्ययन करेंगे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर बिहार में भी निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए कानून बनाए जाएंगे। 

Sunday, April 23, 2017

एक्शन में सीतामढ़ी की औरतें, शराबी पतियों को भिजवाया जेल

पुलिस की गिरफ्त में नशेड़ी अनिल पासवान
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी ने मंहिलााेओं को फॉर्म में ला दिया है। बिहार सरकार की मशीनरी लाख कोशिशों के बावजूद  सूबे के पियक्कड़ों के मुंह से शराब नहीं छुड़वा पा रही है। हर दिन हर जिले में शराब बरामद की जा रही है। पियक्कड़ से लेकर कारोबारी तक पकड़े जा रहे हैं। यहां तक कि शराब की डिलेवरी में बच्चों तक को लगाया जा रहा है। खुद सीएम यह कह चुके हैं कि पुलिस और कानून बिना सामाजिक जागरूकता के पियक्कड़ों से शराब छुड़वाने में सफल नहीं हो सकते। ऐसे में अब सीतामढ़ी की औरतों ने रास्ता दिखाया है। शराबी पतियों की हरकतों से आजित औरतें अब खुद आगे आकर उन्हें जेल भिजवा रही हैं।

Friday, April 14, 2017

इन राजाओं ने देश में शिक्षा की अलख जगाने को कर दिया सब कुछ न्योछावर

सेमिनार का उद्घाटन करते अतिथि
मिथिला ज्ञानियों-दानियों की भूमि है। दरभंगा महाराज ने आजादी के आंदोलन को भी हवा दी थी। आज जब हर तरफ असहिष्णुता की बात होती है तो दरभंगा महाराज की सहिष्णुता याद आ जाती है। मिथिला में लंबे अरसे तक जमींदारी प्रथा रही है फिर भी यहां इसके विरूद्ध आंदोलन नहीं हुआ तो इसका सबसे बड़ा कारण दरभंगा महाराज की सहिष्णुता ही थी। दरभंगा महाराज का उच्च शिक्षा में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने तो अपना महल तक शिक्षा के लिए दान कर दिया। पटना, हैदराबाद, बनारस, कोलकाता आदि जगहों के विश्वविद्यालयों में महाराजा के बनवाए हुए भवनों में विधार्थी शिक्षा ग्रहण कर देश-विदेश के विकास में अपना योगदान दे रहे है। उपरोक्त बातें डाॅ. प्रभात दास फाउण्डेशन एवं सीएम साइंस काॅलेज के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘कंट्रिब्यूशन ऑफ मिथिला इन द मेकिंग आॅफ इंडिया’’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए लनामिविवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कही।

Thursday, April 13, 2017

बस सीतामढ़ी पर मोदी सरकार को ऐतराज, अयोध्या, जनकपुर व लंका तो ढूंढ ली

माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी का पुनौरा धाम (साभार फाइल फोटो)
भारत सरकार को सीतामढ़ी के माता सीता की जन्मभूमि होने पर अभी विश्वास नहीं हो रहा है। संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने राज्यसभा में कहा कि सीतामढ़ी बस आस्था व विश्वास का केंद्र है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वहां ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया है जिसकी वजह से सीतामढ़ी को सीता का जन्मस्थान माना जाए। वे सीतामढ़ी के सौंदर्यीकरण के सवाल पर मध्य प्रदेश के अपनी ही पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रभात झा के सवाल का जवाब दे रहे थे। प्रभात झा बिहार के सीतामढ़ी मूल के ही हैं। वे मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। आश्चर्य इस बात का है मध्य प्रदेश के ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया। लेकिन मिथिलांचल समेत बिहार के किसी प्रमुख नेता ने सदन में इस पर कुछ खास नहीं कहा। सीतामढ़ी सीता की जन्मभूमि है या नहीं, इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए अयोध्या, जनकपुर व लंका तक के अस्तित्व की फिर से विवेचना करनी पड़ेगी।

Tuesday, April 11, 2017

नीतीश की राह पर चलने को तैयार योगी और शिवराज

नीतीश कुमार व शिवराज सिंह चौहान (साभार फाइल फोटो)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश को एक नई राह दिखाई है। एक साल पहले सूबे में लागू की गई शराबबंदी की सफलता से दूसरे राज्य भी प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शराबबंदी लागू करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। दरअसल बिहार में शराबबंदी पर नीतीश सरकार की दृढ़ नीति व सख्ती से सूबे की महिलाओं ने राहत की बड़ी सांस ली है। इसके बाद दूसरे राज्यों में भी इसका सकारात्मक संदेश गया है। अन्य राज्यों की महिलाएं भी शराबबंदी के लिए आंदोलन कर रही हैं। देश के दूसरे राज्यों में शराबबंदी की मांग को लेकर बढ़ रहे आंदोलन को नीतीश कुमार के बड़े प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है।

Sunday, April 9, 2017

सीतामढ़ी की आशा को अंग्रेजी नहीं आती थी, आज हैं ब्रिटेन की बड़ी सेलिब्रेटी

सम्मान प्राप्त करतीं आशा खेमका (चित्र साभार)
ये कहानी है एक सीधी-सादी लड़की की। बिहार के सीतामढ़ी शहर के कोट बाजार (तब मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा) की निवासी 15 साल की आशा खेमका डुमरा के कमला गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थीं। एक दिन उनकी चाची ने कहा कि नई साड़ी पहन लो। उन्होंने पूछा- क्यों? जवाब मिला तुम्हारी शादी के लिए लड़के वाले देखने आ रहे हैं। वे हक्की-बक्की रह गईं। पूछा- मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो? बहुत रोईं। आखिरकार वही हुआ जो परिवार के लोग चाहते थे। होने वाली ससुराल के लोग आए। गहने और कपड़े दिए। सगाई हो गई। उसके बाद तो उनकी दुनिया ही बदल गई। बाद में पति के साथ ब्रिटेन गईं। बाल विवाह की शिकार तब की यही लड़की अब ब्रिटेन की एशियन बिजनेस वुमन ऑफ द इयर सम्मान से नवाजी गई हैं। इन्हें ब्रिटेन में पहले भी कई पुरस्कार-सम्मान मिल चुके हैं।

बिहार को रेल मानचित्र पर उभारने वाले मिथिला की उपेक्षा

मिथिला में रेलवे के विकास पर आयोजित सेमिनार में उपस्थित अतिथिगण
मिथिला में रेलवे के विकास में दरभंगा के महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह के योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। आजादी से पूर्व बिछी 70 फीसदी पटरियां उत्तर बिहार में दरभंगा महाराज के सहयोेग से तिरहुत स्टेट रेलवे के जरिए ही बिछाई गई थी। उपरोक्त बातें स्वयंसेवी संस्था डाॅ. प्रभात दास फाउंडेशन व स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग, लनामिवि दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में नगरौना पैलेस के डांस हाॅल में आयोजित मिथिला के विकास में रेलवे का योगदान विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए लनामिवि के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कही।

Thursday, April 6, 2017

बचा लो हिंदुस्तान, मुंबई में फंसी है बेबस इंसान की जान

मुंबई के एक निजी अस्पताल में मौत से जूझते रुपेश
--लिवर बदलने के लिए 25 लाख की दरकार, ग्लोबल हाॅस्पीटल में मोतिहारी के रूपेश की जिंदगी गिरवी
--न सीएम सुन रहे न पीएम, बाॅलीवुड स्टार सलमान की बीईंग ह्यूमन एनजीओ ने भी नहीं की मदद
--चुप बैठी सरकार, अब फरिश्ते का इंतजार
--सरकारें नहीं पिघलीं....क्या आप.....छोटी मदद बचा सकती है जिंदगी
--ये कैसी सरकारें, न नीति है नीयत, मदद के लिए आम आदमी किन्हें पुकारे
--केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के गृह जिले के निवासी का सरकार में नहीं कोई मददगार

Sunday, March 26, 2017

योगी के नक्शे कदम पर चले नीतीश

नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बूचड़खानों पर लगाम लगाने की कवायद कर दी। इसके तहत सबसे पहले तो अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए। उसके बाद वैध बूचड़खानों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाने लगी। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अवैध बूचड़खानों को बंद करने को कहा है। बिहार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा है कि जिलों के डीएम व एसपी से अवैध बूचड़खानों की सूची मांगी गई है। उन्हें बंद किया जाएगा। साथ ही वैध बूचड़खानों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। हालांकि बिहार में अवैध बूचड़खानों को बंद करने का निर्देश पुराना है। इस पर अमल नहीं किया जा रहा था। ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार योगी से सबक लेते हुए अवैध बूचड़खानों को बंद करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

Thursday, March 23, 2017

हुकुमदेव नारायण यादव होंगे भारत के अगले उपराष्ट्रपति !

हुकुमदेव नारायण यादव (साभार फाइल फोटो)
बिहार के मधुबनी से भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव भारत के अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। खबरों के मुताबिक भाजपा में उनके नाम की सहमति लगभग बन चुकी है। हुकुमदेव पीएम मोदी की पहली पसंद माने जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो वे बिहार से आने वाले पहले उपराष्ट्रपति होंगे। संसद में समस्याओं को रखने व जवाब देने में चुटीले अंदाज का इस्तेमाल करते हैं। वे विपक्ष पर भी अपने खास अंदाज में वार करते हैं। हुकुमदेव ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों को गोलबंद करने के बाद भाजपा देश भर में ओबीसी मतदाताओं को एक नया संदेश देकर उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहती है। पार्टी ऐसा करके बिहार में लालू-नीतीश के जातीय समीकरण को भी ध्वस्त करना चाहती है।

Sunday, March 19, 2017

योगी से निपटने का फॉर्मूला नीतीश के पास

नीतीश कुमार व योगी आदित्यनाथ (साभार फाइल फोटो)
यूपी में भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को सीएम क्या बनाया देश की राजनीति में एक भूचाल सा आ गया। दूसरे दलों के नेताओं की कौन कहे भाजपा के नेता भी हतप्रभ रह गए हैं। मीडिया में योगी के गुण-दोष गिनाए जा रहे हैं। जनता ने इस पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर तो योगी के पक्ष व विपक्ष में गजब की गोलबंदी दिख रही है। बिहार में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को छोड़ किसी भी प्रमुख नेता ने योगी पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह एक सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है। बिहार बीजेपी में भी उत्साह है। यहां यूपी चुनाव में न्यूट्रल रहे नीतीश पर सबकी नजर है। बिहार के बिल्कुल सटे पूर्वांचल के गोरखपुर से आने वाले योगी आदित्यनाथ की शैली बेहद आक्रामक है। वे बिहार की परिस्थियों से पूरी तरह वाकिफ हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए योगी की मुहिम शुरू होने के पहले बिहार में उनसे मुकाबला करने के लिए चेहरे की तलाश है। ऐसे में सबकी निगाहें विकास पुरूष कहलाने वाले नीतीश कुमार पर टिकी हैं।

Friday, March 17, 2017

पीएम मोदी के खिलाफ नीतीश का मोर्चा, या करीब आने की तैयारी

नीतीश व मोदी (साभार फाइल फोटो)
पांच में से चार राज्यों में जीत के बाद भाजपा देश में मजबूत होकर उभरी है। उसने अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने का एलान कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक फिलहाल यह मान रहे हैं भाजपा 2019 में भी मजबूत होगी। इधर, बिहार में महागठबंधन सरकार चला रहे सीएम नीतीश कुमार के विधायकों ने विपक्ष से उन्हें पीएम प्रत्याशी के रूप में समर्थन देकर देश में चुनाव लड़ने का आह्वान किया है। इसका समर्थन राजद ने किया है। लेकिन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने लोकसभा चुनाव के समय इस मुद्दे पर विचार करने की बात कहकर जदयू की मांग को टाल दिया है। नीतीश को पीएम मैटेरियल बताकर जदयू देश में विपक्ष को एकजुट करना चाहता है या फिर भाजपा को अपनी शक्ति का अहसास दिलाकर उसके साथ मोलभाव करने की कोशिश, इस पर विचार करते हैं।

Thursday, March 16, 2017

राजद क्यों नहीं चाहता कि अवधेश बने विधान परिषद के सभापति

राबड़ी, अवधेश व नीतीश (चित्र साभार)
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह का कार्यकाल जल्द पूरा हो रहा है। हालांकि वे फिर से गया स्नातक सीट से चुनकर आ गए हैं। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। इस बार भी सभापति के तौर पर उनकी दावेदारी बनती दिखाई दे रही है। जदयू ने अवधेश नारायण सिंह का विरोध नहीं किया है। जदयू प्रवक्ता नीरज ने उन्हें इस पद के योग्य करार दिया है। जबकि राजद नेता राबड़ी देवी ने अवधेश के बजाए अपनी पार्टी के किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है। 

Wednesday, March 15, 2017

ये रघुवंश नहीं लालू खुद बोल रहे हैं नीतीश जी !

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन में संग्राम मचा है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार को निशाने पर ले रखा है। वे यूपी चुनाव में कांग्रेस-सपा की हार का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने सीधे-सीधे यह कह दिया कि यूपी में जदयू-बीजेपी मैच फिक्स था। इसकी कड़ी प्रतिक्रिया जदयू व कांग्रेस में हुई। जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने रघुवंश को शिखंडी कहा और उन्हें राजद से बर्खास्त करने की मांग कर डाली। उधर, नीतीश के स्टैंड की तारीफ के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि एनडीए के जो नेता नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं वे महागठबंधन में क्यों नहीं शामिल हो जाते। इन सबके बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चुप हैं। वे न तो रघुवंश को टोक रहे हैं और न ही जदयू-कांग्रेस की मांग पर पर ही कुछ कह रहे हैं। क्या हैं इसके मायने, आइए जानने की कोशिश करते हैं।

Sunday, March 12, 2017

यूपी में भाजपा की जीत से बिहार में मजबूत हुए नीतीश

नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से बिहार में नीतीश कुमार ज्यादा मजबूत हुए हैं। सुनने में बात थोड़ी अटपटी जरूर लगती है लेकिन यह बिल्कुल सही है। यह मजबूती उनके महागठबंधन के सहयोगियों लालू व कांग्रेस के मुकाबले में है। यूपी में हार के बाद कांग्रेस का मनोबल गिरा है। वहीं लालू प्रसाद भाजपा की जीत से निराश हुए हैं। हालांकि देश में बड़ी जीत के बाद उभर कर आई भाजपा अब नीतीश को उनकी शर्तों पर तवज्जो नहीं देगी, जिसकी उम्मीद उन्हें यूपी में भाजपा की छोटी जीत या फिर त्रिशंकु राजनीति में उलझने से होती। देश में अब जो राजनीतिक परिस्थियां बनी हैं उसमें इसके स्पष्ट संकेत मिले हैं कि नीतीश कुमार नए राजनीतिक समीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। राजनीतिक पंडितों ने इन समीकरणों की चर्चा शुरू कर दी है। आइए जानते हैं कि 2019 के लोकसभा व 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कैसे हो सकते हैं नए राजनीतिक समीकरण।

Friday, March 10, 2017

नीतीश-लालू की यूपी पर निगाहें, बिहार पर निशाना

नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी व लालू प्रसाद (चित्र साभार)
शुक्रवार की रात कयामत की है। सिर्फ मोदी, अखिलेश, राहुल, मुलायम व मायावती के लिए ही नहीं बल्कि उन सबके लिए जिन्होंने यूपी में इन नेताओं व इनकी पार्टियों पर अपने-अपने दांव खेले हैं । इन सबसे इतर इस रात जिनके दिलों की धड़कन काफी बढ़ी हुई है वो हैं बिहार में महागठबंधन सरकार चलाने वाले दो दिग्गज लालू प्रसाद व नीतीश कुमार। शनिवार को जैसे-जैसे यूपी विधानसभा के रुझान घटते- बढ़ते परिणाम में परिवर्तित हो रहे होंगे वैसे-वैसे लालू व नीतीश भी अपनी रणनीति बना-बिगाड़ रहे होंगे। इन दोनों की निगाहें यूपी में भाजपा के प्रदर्शन पर लगी हैं। भाजपा अगर यूपी में सरकार नहीं बना पाती है तो बिहार में वह नई रणनीति के तहत उठापटक कर सकती है। ऐसे में महागठबंधन सरकार का भविष्य भी दाव पर होगा। आइए जानते हैं यूपी चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति पर कितना प्रभाव डाल सकते हैं।

Monday, March 6, 2017

भोजपुरी के सहारे दिल्ली फतह की तैयारी में नीतीश

जनसभा को संबोधित करते नीतीश (साभार फाइल फोटो)
भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने संबंधी बिहार कैबिनेट से पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश सरकार इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में बिहार व उससे बाहर उठाने की तैयारी कर रही है। ऐसा करके नीतीश करोड़ों भोजपुरी भाषियों की भाषायी संवेदना को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। यह पहल उनकी उस रणनीति का ही हिस्सा है जिसके तहत वे अपनी राष्ट्रीय छवि गढ़ने की तमाम कवायदें कर रहे हैं। भोजपुरी को लेकर इस ताजा पहल का पहला लक्ष्य है दिल्ली नगर निगम के चुनाव में जदयू का जनाधार बढ़ाना। नीतीश ने अपनी पार्टी के दिल्ली प्रभारी संजय झा को इस प्लान को धरातल पर उतारने की तैयारी की जवाबदेही सौंपी है। इसके लिए वहां एक बड़ी सभा भी की गई है। आइए जानते हैं कि भोजपुरी को लेकर नीतीश कुमार की कार्य योजना और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं।

Sunday, March 5, 2017

नीतीश-लालू को क्यों याद आई भोजपुरी

 (चित्र साभार। संभव है कि सरकारी मानक के अनुसार यह नक्शा न हो)
बिहार कैबिनेट ने हाल ही भोजपुरी को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने को लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है। यह खबर बिहार-यूपी समेत देश के उन इलाकों में सुर्खियों में रही जहां भोजपुरी बोलने वाले लोग बसते हैं। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग नई नहीं है। इसके लिए लोकसभा में कई बार प्रस्ताव लाए गए हैं। लेकिन इस पर गंभीरतापूर्वक कभी विचार नहीं किया गया। विभिन्न दल के नेता वोट बैंक बनाने के लिए इस मुद्दे को अक्सर उठाते रहते हैं। भोजपुरी के लिए नीतीश सरकार की इस ताजा पहल का कितना असर होगा आइए, इसका विश्लेषण करते हैं।

Wednesday, March 1, 2017

‘जलील’ पर बिहार में क्यों जारी है राजनीतिक जंग ?

बिहार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान (फोटो साभार)
बिहार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री व कांग्रेस विधायक अब्दुल जलील मस्तान पर बिहार में सियासी जंग तेज हो गई है। भाजपा नेता नितिन नवीन ने मस्तान के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। दरअसल, एक वायरल वीडीयो के आधार पर यह बात कही जा रही है कि मस्तान ने नोटबंदी के विरोध में चल रही एक सभा में पीएम नरेंद्र मोदी को नक्सली कहा था। इतना ही नहीं लोगों को पीएम की तस्वीर पर जूते मारने को भी उकसाया था। खबर आने के बाद बिहार में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने जबर्दस्त विरोध शुरू किया। इसके बाद सीएम नीतीश व लालू समेत सभी प्रमुख नेताओं ने मस्तान के बयान की कड़ी निंदा की। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी भी शामिल थे। भारी दबाव के बाद मस्तान ने माफी मांग ली लेकिन यह सियासी जंग खत्म होती नजर नहीं आ रही है। विपक्ष मंत्री को हटाने की मांग पर अड़ा है। पलटवार में सत्ता पक्ष के कई नेताओं ने पीएम मोदी के भी कई बयानों की आलोचना की है।

बिहार के दरभंगा में 'पेल्टियर इफेक्ट' पर होगा शोध

कार्यक्रम में बोलते प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा
वस्तुओं को शीतल रखने के लिए फ्रिज-कूलर से लेकर कई चिकित्सा व वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने के लिए विकसित देश अब 'पेल्टियर इफेक्ट' नामक तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। भारत में यह क्षेत्र नया है। इस पर कुछ विश्वविद्यालयों में शोध शुरू हुए हैं। लेकिन बिहार में इस पर कोई काम नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में विज्ञान के 'पेल्टियर इफेक्ट' विषय पर शोध शुरू हो सकता है। यह पहल स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा व प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने की है। वर्मा जी पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मित्र व इसरो में उनके सहयोगी वैज्ञानिक रहे हैं। वे 'तेजस' को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में रहे हैं। इस पहल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति ने शोधार्थियों के लिए ऐसी व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया है। क्या है 'पेल्टियर इफेक्ट' और इस पर शोध से देश को क्या फायदा होगा इसके बारे में जानते हैं।

Monday, February 27, 2017

नीतीश सरकार पर बड़ा खतरा बने शिक्षा-परीक्षा के घोटालेबाज !

बीेएसएससी पेपर लीक कांड की जांच (फोटो साभार)
बीएसएससी पेपर लीक कांड की जांच बिहार सरकार के लिए मुसीबत की जड़ बन गई है। राज्य सरकार की जांच एजेंसियां मामले में जितनी गहराई तक पहुंच रही हैं, उन्हें हैरानी-परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार को इस जांच में हर कदम इतनी सावधानी के साथ रखना पड़ रहा है जैसे कि वे बारूद की ढेर पर नंगे पांव चल रहे हों। इस कांड में संलिप्त होने के आरोप ब्यूरोक्रेट्स से लेकर विधायक व मंत्री तक पर हैं। कहा यह जा रहा है कि ‘परमेश्वर’ को ‘चढ़ावा’ चढ़ाने वाले हर दल व ब्यूरोक्रेट्स के लोगों को उनका ‘आशीर्वाद’ बिना किसी भेदभाव के मिला था। खुद ‘परमेश्वर’ ने अपने ‘लाभार्थी भक्तों’ के नाम जांच एजेंसियों को गिनाए थे। जानकारों का मानना है कि इनमें से कई नाम ऐसे भी हैं जिनकी जड़ें प्रशासन व सरकार में बहुत गहरी हैं। जानकारों का ये भी कहना है कि अगर ‘उन जड़ों’ को काटने की कोशिश की गई तो सरकार के गिरने का खतरा प्रबल है।

Friday, February 24, 2017

नीतीश को बिहार से बाहर करने की तैयारी में लालू !

नीतीश कुमार, लालू प्रसाद व तेजस्वी प्रसाद यादव (चित्र साभार)

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद व उनकी पत्नी राबड़ी देवी की, अपने पुत्र व बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव को, जल्द से जल्द सीएम की कुर्सी पर बैठे देखने की इच्छा बलवती हो गई है। पिछले दो दिनों में आए राबड़ी देवी के बयान, उस पर जदयू नेताओं का पलटवार और तेजस्वी व खुद राबड़ी की नपी-तुली सफाई ने बिहार की बदलती राजनीतिक स्थिति के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। सामान्य आदमी भले ही समझे कि यह मां-बाप की स्वाभाविक इच्छा होगी, लेकिन जानकारों ने इसे लालू एंड फैमिली की सोची-समझी रणनीति करार दिया है। देश में बन रहे नए राजनीतिक समीकरण और नीतीश के बदलते मिजाज को देखते हुए लालू ने भी कार्यकर्ताओं व अपने मतदाताओं के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करने की रणनीति के तहत कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। आइए जानते हैं कि लालू एंड फैमिली के बिहार के सीएम की कुर्सी को लेकर छोड़े गए नए शिगूफे के क्या हैं राजनीतिक मायने।

Sunday, February 19, 2017

जाति की जमात में लालू ने दिखाई नीतीश को ताकत

ब्रह्मलीन तपस्वी बाबा नारायण दास की प्रतिमा पर सिर झुकाते लालू

लालू प्रसाद पूरे फॉर्म में आ गए हैं। अपने ताजा भाषण में उन्होंने कहा है कि ‘बिहार विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हमने जीती हैं। उसके बाद नीतीश और कांग्रेस ने।’ सीतामढ़ी के बगही धाम में यादव वोटरों की बेतहाशा भीड़ को अपने सामने पाकर लालू का जबर्दस्त उत्साह देखते ही बन रहा था। उन्होंने भाजपा पर प्रहार तो किया ही, इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार को भी अपनी ताकत दिखा दी। महागठबंधन सरकार बनने के बाद ऐसा माना जाने लगा था कि लालू अपने बेटों के सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए नीतीश के आगे हर मोर्चे पर मतमस्तक होने लगे हैं। लेकिन सीतामढ़ी की सभा मॆं उनका बदला हुआ रूप दिखा। उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव के बाद वे बड़ा आंदोलन करेंगे। राजनीतिक जानकार इसके कई मायने लगा रहे हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं इस पूरे विश्लेषण में।

Thursday, February 16, 2017

सुप्रीम कोर्ट ने बचाई नीतीश की साख, लालू से बढ़ेगी खटास !

शहाबुद्दीन (साभार फोटो)
सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख बचा ली है। इससे पहले जब पटना हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को जेल से बरी करने का फैसला सुनाया था तो नीतीश कुमार और उनकी सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। उनकी साख पर बट्टा लग गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार का राजनीतिक परिदृश्य कितना बदलेगा, शहाबुद्दीन के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहकर सिवान पर राज करना कितना मुश्किल होगा और लालू के नीतीश के साथ रिश्ते पर इस फैसले का कितना असर पड़ेगा, इस पर राजनीतिक कयास लगने शुरू हो चुके हैं। आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि शहाबुद्दीन का सिवान से दूर जाना बिहार की राजनीति में कितना बदलाव लेकर आएगा।