Sunday, February 19, 2017

जाति की जमात में लालू ने दिखाई नीतीश को ताकत

ब्रह्मलीन तपस्वी बाबा नारायण दास की प्रतिमा पर सिर झुकाते लालू

लालू प्रसाद पूरे फॉर्म में आ गए हैं। अपने ताजा भाषण में उन्होंने कहा है कि ‘बिहार विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हमने जीती हैं। उसके बाद नीतीश और कांग्रेस ने।’ सीतामढ़ी के बगही धाम में यादव वोटरों की बेतहाशा भीड़ को अपने सामने पाकर लालू का जबर्दस्त उत्साह देखते ही बन रहा था। उन्होंने भाजपा पर प्रहार तो किया ही, इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार को भी अपनी ताकत दिखा दी। महागठबंधन सरकार बनने के बाद ऐसा माना जाने लगा था कि लालू अपने बेटों के सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए नीतीश के आगे हर मोर्चे पर मतमस्तक होने लगे हैं। लेकिन सीतामढ़ी की सभा मॆं उनका बदला हुआ रूप दिखा। उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव के बाद वे बड़ा आंदोलन करेंगे। राजनीतिक जानकार इसके कई मायने लगा रहे हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं इस पूरे विश्लेषण में।


यज्ञ स्थल के पास बने मंच पर लालू

लालू सीतामढ़ी के बगही धाम में आयोजित श्री सीताराम नाम महायज्ञ में पहुंचे थे और यज्ञ के पास बने विशाल पंडाल के मंच से बोल रहे थे। मंच के सामने 50 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ लालू को उत्साह से लबरेज कर रही थी। यह भीड़ अधिकतर यादवों की थी। लालू ने इस मंच से अपने वोट बैंक को खूब साधा। उन्होंने ब्रह्मलीन तपस्वी बाबा नारायण दास को ‘अपने कुल’ का बताते हुए गर्व महसूस किया। उन्होंने भगवान कृष्ण का संदर्भ देते हुए कहा कि यादव व माधव के बिना कोई वेद-पुराण पूरा नहीं हो सकता। इसी दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हमने जीती हैं।

लालू के इस कथन को उनके आत्मविश्वास में वृद्धि के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक पंडित ऐसा मानते हैं कि लालू का ‘पक्का वोट बैंक’ हर बदनामी व मुसीबत के बावजूद उनसे कभी अलग नहीं हुआ। यही कारण था कि राजनीतिक रूप से धराशायी ठहरा दिए गए लालू वर्षों बाद बिहार की सत्ता में वापस आए। अब उन्हें दिख रहा है कि नीतीश कुमार अलग स्टैंड पर चलते हुए अपनी राष्ट्रीय पहचान बना रहे हैं, वे अकेले जदयू की ताकत बढ़ा रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण ये कि वे बीजेपी के भी उतने ही करीब बने हुए हैं जितने कि लालू व कांग्रेस के साथ हैं। इस स्थिति में लालू अपने वोट बैंक को अपने वश में रखने के लिए हर जतन कर रहे हैं। ताकि नीतीश के महागठबंधन से अलग होने की स्थिति अगर बनती है तो अगले चुनावों में वे अपनी ताकत बरकरार रख सकें। यूपी चुनाव के बाद बड़े आंदोलन की घोषणा सिर्फ भाजपा के विरोध के लिए उन्होंने की हो, ऐसा नहीं लगता। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यूपी चुनाव परिणाम के बाद बिहार की राजनीतिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन हो सकता है। लालू किसी मुद्दे को लेकर, उसी परिवर्तन के हिसाब से आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे। इससे वे भाजपा की खिलाफत तो करेंगे ही, अपने सहयोगियों नीतीश व कांग्रेस को अपनी ताकत भी दिखाएंगे।

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