Sunday, March 26, 2017

योगी के नक्शे कदम पर चले नीतीश

नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बूचड़खानों पर लगाम लगाने की कवायद कर दी। इसके तहत सबसे पहले तो अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए। उसके बाद वैध बूचड़खानों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाने लगी। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अवैध बूचड़खानों को बंद करने को कहा है। बिहार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा है कि जिलों के डीएम व एसपी से अवैध बूचड़खानों की सूची मांगी गई है। उन्हें बंद किया जाएगा। साथ ही वैध बूचड़खानों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। हालांकि बिहार में अवैध बूचड़खानों को बंद करने का निर्देश पुराना है। इस पर अमल नहीं किया जा रहा था। ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार योगी से सबक लेते हुए अवैध बूचड़खानों को बंद करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।

Thursday, March 23, 2017

हुकुमदेव नारायण यादव होंगे भारत के अगले उपराष्ट्रपति !

हुकुमदेव नारायण यादव (साभार फाइल फोटो)
बिहार के मधुबनी से भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव भारत के अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। खबरों के मुताबिक भाजपा में उनके नाम की सहमति लगभग बन चुकी है। हुकुमदेव पीएम मोदी की पहली पसंद माने जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो वे बिहार से आने वाले पहले उपराष्ट्रपति होंगे। संसद में समस्याओं को रखने व जवाब देने में चुटीले अंदाज का इस्तेमाल करते हैं। वे विपक्ष पर भी अपने खास अंदाज में वार करते हैं। हुकुमदेव ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों को गोलबंद करने के बाद भाजपा देश भर में ओबीसी मतदाताओं को एक नया संदेश देकर उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहती है। पार्टी ऐसा करके बिहार में लालू-नीतीश के जातीय समीकरण को भी ध्वस्त करना चाहती है।

Sunday, March 19, 2017

योगी से निपटने का फॉर्मूला नीतीश के पास

नीतीश कुमार व योगी आदित्यनाथ (साभार फाइल फोटो)
यूपी में भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को सीएम क्या बनाया देश की राजनीति में एक भूचाल सा आ गया। दूसरे दलों के नेताओं की कौन कहे भाजपा के नेता भी हतप्रभ रह गए हैं। मीडिया में योगी के गुण-दोष गिनाए जा रहे हैं। जनता ने इस पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर तो योगी के पक्ष व विपक्ष में गजब की गोलबंदी दिख रही है। बिहार में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को छोड़ किसी भी प्रमुख नेता ने योगी पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह एक सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है। बिहार बीजेपी में भी उत्साह है। यहां यूपी चुनाव में न्यूट्रल रहे नीतीश पर सबकी नजर है। बिहार के बिल्कुल सटे पूर्वांचल के गोरखपुर से आने वाले योगी आदित्यनाथ की शैली बेहद आक्रामक है। वे बिहार की परिस्थियों से पूरी तरह वाकिफ हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए योगी की मुहिम शुरू होने के पहले बिहार में उनसे मुकाबला करने के लिए चेहरे की तलाश है। ऐसे में सबकी निगाहें विकास पुरूष कहलाने वाले नीतीश कुमार पर टिकी हैं।

Friday, March 17, 2017

पीएम मोदी के खिलाफ नीतीश का मोर्चा, या करीब आने की तैयारी

नीतीश व मोदी (साभार फाइल फोटो)
पांच में से चार राज्यों में जीत के बाद भाजपा देश में मजबूत होकर उभरी है। उसने अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने का एलान कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक फिलहाल यह मान रहे हैं भाजपा 2019 में भी मजबूत होगी। इधर, बिहार में महागठबंधन सरकार चला रहे सीएम नीतीश कुमार के विधायकों ने विपक्ष से उन्हें पीएम प्रत्याशी के रूप में समर्थन देकर देश में चुनाव लड़ने का आह्वान किया है। इसका समर्थन राजद ने किया है। लेकिन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने लोकसभा चुनाव के समय इस मुद्दे पर विचार करने की बात कहकर जदयू की मांग को टाल दिया है। नीतीश को पीएम मैटेरियल बताकर जदयू देश में विपक्ष को एकजुट करना चाहता है या फिर भाजपा को अपनी शक्ति का अहसास दिलाकर उसके साथ मोलभाव करने की कोशिश, इस पर विचार करते हैं।

Thursday, March 16, 2017

राजद क्यों नहीं चाहता कि अवधेश बने विधान परिषद के सभापति

राबड़ी, अवधेश व नीतीश (चित्र साभार)
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह का कार्यकाल जल्द पूरा हो रहा है। हालांकि वे फिर से गया स्नातक सीट से चुनकर आ गए हैं। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। इस बार भी सभापति के तौर पर उनकी दावेदारी बनती दिखाई दे रही है। जदयू ने अवधेश नारायण सिंह का विरोध नहीं किया है। जदयू प्रवक्ता नीरज ने उन्हें इस पद के योग्य करार दिया है। जबकि राजद नेता राबड़ी देवी ने अवधेश के बजाए अपनी पार्टी के किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है। 

Wednesday, March 15, 2017

ये रघुवंश नहीं लालू खुद बोल रहे हैं नीतीश जी !

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन में संग्राम मचा है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार को निशाने पर ले रखा है। वे यूपी चुनाव में कांग्रेस-सपा की हार का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने सीधे-सीधे यह कह दिया कि यूपी में जदयू-बीजेपी मैच फिक्स था। इसकी कड़ी प्रतिक्रिया जदयू व कांग्रेस में हुई। जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने रघुवंश को शिखंडी कहा और उन्हें राजद से बर्खास्त करने की मांग कर डाली। उधर, नीतीश के स्टैंड की तारीफ के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि एनडीए के जो नेता नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं वे महागठबंधन में क्यों नहीं शामिल हो जाते। इन सबके बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चुप हैं। वे न तो रघुवंश को टोक रहे हैं और न ही जदयू-कांग्रेस की मांग पर पर ही कुछ कह रहे हैं। क्या हैं इसके मायने, आइए जानने की कोशिश करते हैं।

Sunday, March 12, 2017

यूपी में भाजपा की जीत से बिहार में मजबूत हुए नीतीश

नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से बिहार में नीतीश कुमार ज्यादा मजबूत हुए हैं। सुनने में बात थोड़ी अटपटी जरूर लगती है लेकिन यह बिल्कुल सही है। यह मजबूती उनके महागठबंधन के सहयोगियों लालू व कांग्रेस के मुकाबले में है। यूपी में हार के बाद कांग्रेस का मनोबल गिरा है। वहीं लालू प्रसाद भाजपा की जीत से निराश हुए हैं। हालांकि देश में बड़ी जीत के बाद उभर कर आई भाजपा अब नीतीश को उनकी शर्तों पर तवज्जो नहीं देगी, जिसकी उम्मीद उन्हें यूपी में भाजपा की छोटी जीत या फिर त्रिशंकु राजनीति में उलझने से होती। देश में अब जो राजनीतिक परिस्थियां बनी हैं उसमें इसके स्पष्ट संकेत मिले हैं कि नीतीश कुमार नए राजनीतिक समीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। राजनीतिक पंडितों ने इन समीकरणों की चर्चा शुरू कर दी है। आइए जानते हैं कि 2019 के लोकसभा व 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कैसे हो सकते हैं नए राजनीतिक समीकरण।

Friday, March 10, 2017

नीतीश-लालू की यूपी पर निगाहें, बिहार पर निशाना

नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी व लालू प्रसाद (चित्र साभार)
शुक्रवार की रात कयामत की है। सिर्फ मोदी, अखिलेश, राहुल, मुलायम व मायावती के लिए ही नहीं बल्कि उन सबके लिए जिन्होंने यूपी में इन नेताओं व इनकी पार्टियों पर अपने-अपने दांव खेले हैं । इन सबसे इतर इस रात जिनके दिलों की धड़कन काफी बढ़ी हुई है वो हैं बिहार में महागठबंधन सरकार चलाने वाले दो दिग्गज लालू प्रसाद व नीतीश कुमार। शनिवार को जैसे-जैसे यूपी विधानसभा के रुझान घटते- बढ़ते परिणाम में परिवर्तित हो रहे होंगे वैसे-वैसे लालू व नीतीश भी अपनी रणनीति बना-बिगाड़ रहे होंगे। इन दोनों की निगाहें यूपी में भाजपा के प्रदर्शन पर लगी हैं। भाजपा अगर यूपी में सरकार नहीं बना पाती है तो बिहार में वह नई रणनीति के तहत उठापटक कर सकती है। ऐसे में महागठबंधन सरकार का भविष्य भी दाव पर होगा। आइए जानते हैं यूपी चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति पर कितना प्रभाव डाल सकते हैं।

Monday, March 6, 2017

भोजपुरी के सहारे दिल्ली फतह की तैयारी में नीतीश

जनसभा को संबोधित करते नीतीश (साभार फाइल फोटो)
भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने संबंधी बिहार कैबिनेट से पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश सरकार इसे एक बड़े मुद्दे के रूप में बिहार व उससे बाहर उठाने की तैयारी कर रही है। ऐसा करके नीतीश करोड़ों भोजपुरी भाषियों की भाषायी संवेदना को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। यह पहल उनकी उस रणनीति का ही हिस्सा है जिसके तहत वे अपनी राष्ट्रीय छवि गढ़ने की तमाम कवायदें कर रहे हैं। भोजपुरी को लेकर इस ताजा पहल का पहला लक्ष्य है दिल्ली नगर निगम के चुनाव में जदयू का जनाधार बढ़ाना। नीतीश ने अपनी पार्टी के दिल्ली प्रभारी संजय झा को इस प्लान को धरातल पर उतारने की तैयारी की जवाबदेही सौंपी है। इसके लिए वहां एक बड़ी सभा भी की गई है। आइए जानते हैं कि भोजपुरी को लेकर नीतीश कुमार की कार्य योजना और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं।

Sunday, March 5, 2017

नीतीश-लालू को क्यों याद आई भोजपुरी

 (चित्र साभार। संभव है कि सरकारी मानक के अनुसार यह नक्शा न हो)
बिहार कैबिनेट ने हाल ही भोजपुरी को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने को लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है। यह खबर बिहार-यूपी समेत देश के उन इलाकों में सुर्खियों में रही जहां भोजपुरी बोलने वाले लोग बसते हैं। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग नई नहीं है। इसके लिए लोकसभा में कई बार प्रस्ताव लाए गए हैं। लेकिन इस पर गंभीरतापूर्वक कभी विचार नहीं किया गया। विभिन्न दल के नेता वोट बैंक बनाने के लिए इस मुद्दे को अक्सर उठाते रहते हैं। भोजपुरी के लिए नीतीश सरकार की इस ताजा पहल का कितना असर होगा आइए, इसका विश्लेषण करते हैं।

Wednesday, March 1, 2017

‘जलील’ पर बिहार में क्यों जारी है राजनीतिक जंग ?

बिहार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान (फोटो साभार)
बिहार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री व कांग्रेस विधायक अब्दुल जलील मस्तान पर बिहार में सियासी जंग तेज हो गई है। भाजपा नेता नितिन नवीन ने मस्तान के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। दरअसल, एक वायरल वीडीयो के आधार पर यह बात कही जा रही है कि मस्तान ने नोटबंदी के विरोध में चल रही एक सभा में पीएम नरेंद्र मोदी को नक्सली कहा था। इतना ही नहीं लोगों को पीएम की तस्वीर पर जूते मारने को भी उकसाया था। खबर आने के बाद बिहार में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने जबर्दस्त विरोध शुरू किया। इसके बाद सीएम नीतीश व लालू समेत सभी प्रमुख नेताओं ने मस्तान के बयान की कड़ी निंदा की। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी भी शामिल थे। भारी दबाव के बाद मस्तान ने माफी मांग ली लेकिन यह सियासी जंग खत्म होती नजर नहीं आ रही है। विपक्ष मंत्री को हटाने की मांग पर अड़ा है। पलटवार में सत्ता पक्ष के कई नेताओं ने पीएम मोदी के भी कई बयानों की आलोचना की है।

बिहार के दरभंगा में 'पेल्टियर इफेक्ट' पर होगा शोध

कार्यक्रम में बोलते प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा
वस्तुओं को शीतल रखने के लिए फ्रिज-कूलर से लेकर कई चिकित्सा व वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने के लिए विकसित देश अब 'पेल्टियर इफेक्ट' नामक तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। भारत में यह क्षेत्र नया है। इस पर कुछ विश्वविद्यालयों में शोध शुरू हुए हैं। लेकिन बिहार में इस पर कोई काम नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में विज्ञान के 'पेल्टियर इफेक्ट' विषय पर शोध शुरू हो सकता है। यह पहल स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा व प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने की है। वर्मा जी पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मित्र व इसरो में उनके सहयोगी वैज्ञानिक रहे हैं। वे 'तेजस' को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में रहे हैं। इस पहल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति ने शोधार्थियों के लिए ऐसी व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया है। क्या है 'पेल्टियर इफेक्ट' और इस पर शोध से देश को क्या फायदा होगा इसके बारे में जानते हैं।