Thursday, March 16, 2017

राजद क्यों नहीं चाहता कि अवधेश बने विधान परिषद के सभापति

राबड़ी, अवधेश व नीतीश (चित्र साभार)
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह का कार्यकाल जल्द पूरा हो रहा है। हालांकि वे फिर से गया स्नातक सीट से चुनकर आ गए हैं। वे भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। इस बार भी सभापति के तौर पर उनकी दावेदारी बनती दिखाई दे रही है। जदयू ने अवधेश नारायण सिंह का विरोध नहीं किया है। जदयू प्रवक्ता नीरज ने उन्हें इस पद के योग्य करार दिया है। जबकि राजद नेता राबड़ी देवी ने अवधेश के बजाए अपनी पार्टी के किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है। 

विधान परिषद का चुनाव अलग किस्म का होता है। यहां दलीय राजनीति करके चुनाव जीतना बहुत संभव नहीं होता है। ठीक उसी तरह सभापति या उपसभापति बनाए जाने को लेकर भी दलों के भीतर आपसी सहमति व जोड़-घटाव होते हैं। अवधेश नारायण सिंह भले ही भाजपा से आते हैं लेकिन उनकी पैठ जदयू में भी गहरी है। दूसरी बात यह कि उन्होंने अपना पिछला कार्यकाल बखूबी चलाया है। वे विवादास्पद मामलों को कुशलता पूर्वक सुलझाते भी दिखे हैं। इसलिए जदयू को इस पर कोई आपत्ति नहीं दिखती।

इस मामले में राजद का रुख थोड़ा अलग है। उसका मानना है कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसके खाते में विधान परिषद का अध्यक्ष पद जाना चाहिए। दूसरी बात यह कि अवधेश नारायण सिंह राजद की पसंद के प्रत्याशी नहीं हैं। राबड़ी देवी ने इस मुद्दे पर मुखर होकर बयान दिया है। अगर राजद राबड़ी के रूख पर कायम रहती है तो यह मुद्दा महागठबंधन में दरार को खाई का रूप दे सकता है।

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