Thursday, March 23, 2017

हुकुमदेव नारायण यादव होंगे भारत के अगले उपराष्ट्रपति !

हुकुमदेव नारायण यादव (साभार फाइल फोटो)
बिहार के मधुबनी से भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव भारत के अगले उपराष्ट्रपति हो सकते हैं। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। खबरों के मुताबिक भाजपा में उनके नाम की सहमति लगभग बन चुकी है। हुकुमदेव पीएम मोदी की पहली पसंद माने जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो वे बिहार से आने वाले पहले उपराष्ट्रपति होंगे। संसद में समस्याओं को रखने व जवाब देने में चुटीले अंदाज का इस्तेमाल करते हैं। वे विपक्ष पर भी अपने खास अंदाज में वार करते हैं। हुकुमदेव ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों को गोलबंद करने के बाद भाजपा देश भर में ओबीसी मतदाताओं को एक नया संदेश देकर उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहती है। पार्टी ऐसा करके बिहार में लालू-नीतीश के जातीय समीकरण को भी ध्वस्त करना चाहती है।

बिहार में हार के बाद भाजपा ने बड़ी रणनीति के तहत यूपी में काम किया था। पार्टी यूपी में भारी बहुमत से जीत कर आई है। अब उसे 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है। वह देश भर के ओबीसी वोटरों का ध्रुवीकरण तो करना ही चाहती है, खास तौर पर बिहार में फिर से लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड मतों जीतना चाहती है। इतना ही नहीं वह 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

हुकुमदेव नारायण यादव जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। वे बिहार में लालू प्रसाद यादव की काट साबित हो सकते हैं। जिस अंदाज में लालू चुनावी सभाओं या संसद में अपनी बात रखते रहे हैं, एक मायने में करीब-करीब वही अंदाज हुकुमदेव का भी रहा है। हुकुमदेव को बड़ा पद देकर भाजपा लालू व नीतीश के उस जातीय समीकरण को ध्वस्त करना चाहती है जिसके बूते वे वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव जीते थे। हुकुमदेव के नाम पर दूर-दराज के गांवों का वोटर भाजपा के साथ आ सकता है।

16 नवंबर 1939 को बिहार के दरभंगा सदर प्रखंड के बिजली गांव में जन्मे हुकुमदेव नारायण यादव ने अपनी स्नातक की शिक्षा दरभंगा के ही चंद्रधारी मिथिला कॉलेज से पूरी की है। वे जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत 1960 में हुई थी जब वे ग्राम पंचायत के मुखिया चुने गए थे। 1967 में वे पहली बार विधायक चुने गए। 1977 में वे पहली बार सांसद बने। 1993 में वे भाजपा में शामिल हो गए। वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे।

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