Friday, March 10, 2017

नीतीश-लालू की यूपी पर निगाहें, बिहार पर निशाना

नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी व लालू प्रसाद (चित्र साभार)
शुक्रवार की रात कयामत की है। सिर्फ मोदी, अखिलेश, राहुल, मुलायम व मायावती के लिए ही नहीं बल्कि उन सबके लिए जिन्होंने यूपी में इन नेताओं व इनकी पार्टियों पर अपने-अपने दांव खेले हैं । इन सबसे इतर इस रात जिनके दिलों की धड़कन काफी बढ़ी हुई है वो हैं बिहार में महागठबंधन सरकार चलाने वाले दो दिग्गज लालू प्रसाद व नीतीश कुमार। शनिवार को जैसे-जैसे यूपी विधानसभा के रुझान घटते- बढ़ते परिणाम में परिवर्तित हो रहे होंगे वैसे-वैसे लालू व नीतीश भी अपनी रणनीति बना-बिगाड़ रहे होंगे। इन दोनों की निगाहें यूपी में भाजपा के प्रदर्शन पर लगी हैं। भाजपा अगर यूपी में सरकार नहीं बना पाती है तो बिहार में वह नई रणनीति के तहत उठापटक कर सकती है। ऐसे में महागठबंधन सरकार का भविष्य भी दाव पर होगा। आइए जानते हैं यूपी चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति पर कितना प्रभाव डाल सकते हैं।


यूपी में समेत पांच राज्यों के चुनाव भाजपा व नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा हैं। मोदी की साख इन चुनावों से जुड़ी है। नोटबंदी, महंगाई, बैंकों के कई मनमाने फैसले ऐसे मुद्दे हैं जिनका प्रभाव इन चुनावों पर दिख रहा था। ऐसे में भाजपा और मोदी यह अग्निपरीक्षा पास कर लेते हैं तो वे देश में काफी मजबूती से उभरेंगे। लेकिन पास व फेल के बीच एक बड़ा फैक्टर न पास न फेल वाली स्थिति है। अगर राज्यों में भाजपा सबसे ज्यादा सीटें लाने के बावजूद विपक्षी दलों की एकजुटता से पिछड़ जाती है तो यह एक नई स्थिति होगी। तब भाजपा को देश में नई रणनीति के तहत काम करना होगा। राजनीतिक जानकार ऐसी स्थिति की ज्यादा संभावना जता रहे हैं। हालांकि यह 11 मार्च व उसके बाद के कुछ दिनों में तय होगा।

यूपी चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन पर बिहार के राजनीतिज्ञों व विश्लेषकों की निगाहें भी लगी हैं। पड़ोसी राज्य के चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति व यहां की महागठबंधन सरकार पर असर डाल सकते हैं। भाजपा अगर यूपी में कमजोर पड़ी तो उसके लिए अगली चुनौती 2019 के लोकसभा व 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने की होगी। इसके लिए वह अपनी रणनीति में बदलाव ला सकती है। बिहार में नीतीश कुमार पर उसकी पहले से नजर है। वे उसके 17 साल तक सहयोगी रहे हैं। ऐसे में नीतीश एनडीए के पाले में जा सकते हैं। बिहार विधानसभा में सीटों का गणित ऐसा है कि नीतीश चाहें तो महागठबंधन से निकल कर एनडीए के साथ सरकार बना सकते हैं। उनके लिए यह एक ऐसा मौका हो सकता है जिसमें एक साथ लालू की नकारात्मक छवि व अनावश्यक दबाव से मुक्ति व बिहार के लिए केंद्र से कुछ खास हासिल करने की कोशिश की जाए। लेकिन यह तभी संभव है जब भाजपा के सामने नीतीश की शर्तों पर गठबंधन करने की मजबूरी हो।

नीतीश कुमार पिछले एक-डेढ़ साल से बदली रणनीति के तहत चल रहे हैं। वे जदयू की राष्ट्रीय पहचान व अपना कद बढ़ाने की कवायद में लगे हैं। वे जानते हैं कि केंद्र के सहयोग के बिना बिहार का उल्लेखनीय विकास संभव नहीं है। इसलिए वे विपक्षी की भूमिका में होते हुए भी केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर प्रतिक्रिया देने में अत्यंत सावधानी बरत रहे हैं। कई बार तो उनके सहयोगियों को यह लगने लगता है कि वे पीएम मोदी की तारीफ कर रहे हैं। केंद्र के प्रति उनकी वह आक्रामकता अब नहीं रही जो लोकसभा चुनाव के बाद व बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के पहले हुआ करती थी। दूसरी तरफ बिहार में महागठबंधन सरकार के सबसे बड़े सहयोगी लालू प्रसाद को नीतीश की यह रणनीति खटकने लगी है। इसलिए लालू ने भी अपने बेटों की राजनीतिक ताकत बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। देखना होगा कि यूपी विधानसभा के चुनाव परिणाम बिहार को कितना प्रभावित कर पाते हैं।

2 comments:

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  2. If BJP won in UP then BJP will also win Loksabha election in 2019.aur Bihar me kabhi bhi kuchh bhi ho sakta hai.baigan ko plate me rakhiyega to oo apne aap kahi bhi ludhak sakta hai.

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