Thursday, May 19, 2016

नेपाल से नज़दीकियों में बिहार की ‘ज़मीन’ बनी बाधा !

भारत का जयनगर और नेपाल का जनकपुर धाम रेलवे स्टेशन ।
भारत-नेपाल संबंधों के बीच बिहार एक सदियों पुराना पुल है। ये एक ऐसा पुल है जिससे होकर दोनो देशों के रिश्तों को मज़बूती मिलती है। बिहार ने इस रिश्ते को इतनी नज़दीकी दी है कि चीन या कोई और देश नेपाल के साथ भारत जैसे नज़दीकी संबंधों की कल्पना तक नहीं कर सकता। लेकिन संबंधों को आधुनिक मार्गों से जोड़ने में अब हम पीछे हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत-नेपाल के बीच महत्वाकांक्षी जयनगर-बरदीबास रेल लाइन के पूरा होने में बिहार में महज़ तीन किलोमीटर ज़मीन अधिग्रहण कई वर्षों से बाधा बना हुआ है। उधर, नई परिस्थितियों में चीन ने नेपाल से रेल और सड़क संपर्क विकसित करने में काफी सफलता हासिल कर ली है। बिहार में ज़मीन अधिग्रहण की ये बाधा इस रेल परियोजना को समय से पूरा किए जाने में संदेह उत्पन्न करती है।

Tuesday, May 17, 2016

नीतीश की फिरकी में फंस गए पक्ष और विपक्ष !

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार (फ़ाइल फोटो)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। ऐसा करके नीतीश ने दूसरी बार अपनी फिरकी से पक्ष और विपक्ष दोनो को क्लीन बोल्ड कर दिया है। पहली बार उन्होंने विगत अप्रैल महीने में सूबे में अचानक पूर्ण शराबबंदी का कठोर फ़ैसला लागू करते हुए ऐसा किया था। तब विपक्ष ने आंशिक शराबबंदी पर हमला बोलते हुए नीतीश को पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए ललकारा था। विपक्ष को उम्मीद थी कि नीतीश ऐसा नहीं कर सकते थे। अब दूसरी बार पत्रकार हत्याकांड की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग ज़ोर पकड़ रही थी। बहुत से लोगों को ऐसा लगता था कि राजद नेता शहाबुद्दीन पर शक की सूई उठने की वज़ह से नीतीश इतना कड़ा फ़ैसला नहीं करेंगे। लेकिन नीतीश ने इस फैसले से विपक्ष का मुंह बंद तो किया ही पक्ष के वैसे लोगों को भी कड़ा संदेश दे दिया जिन्हें लगता था कि राजनीतिक मज़बूरियों की वज़ह से नीतीश ऐसा नहीं करेंगे और सूबे में कथित अापराधिक-राजनीतिक गठजोड़ को अपनी मनमानी करने की छूट मिलती रहेगी। 

Sunday, May 15, 2016

बिहार में लौट आए बाहुबल के पुराने दिन !

सीवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन (फ़ाइल फोटो)
बिहार के सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की नृशंस हत्या से लोगों में दहशत है। लोग इस आशंका के साथ जी रहे हैं कि क्या सीवान से ही बाहुबल का बिहार में दोबारा आगाज़ हो रहा है। जेल में बंद पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन के कथित शूटरों को इस हत्याकांड से जोड़ा जा रहा है। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। पुलिस हत्या के कारणों की छानबीन कर रही है। पुलिस ने जिन कड़ियों को जोड़ने की क़वायद शुरू की है वे अगर जुड़कर सार्वजनिक होती हैं तो इस हत्याकांड पर से पर्दा उठ सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि सूबे की सरकार बिहार में क्या उसी दमखम के साथ अपराध पर लगाम लगाने को तैयार है जैसा दमखम नीतीश कुमार ने 10 साल पहले सीएम बनने के तुरंत बाद दिखाया था। अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है।

Saturday, May 14, 2016

शॉक्ड सीवान ! जंगलराज रिटर्न्स इन बिहार !

 पत्रकार राजदेव रंजन का खून से लथपथ शरीर ।
बिहार के सीवान में ‘हिंदुस्तान’ दैनिक अख़बार के संवाददाता राजदेव रंजन की सरेशाम हत्या कर दी गई। बेख़ौफ़ अपराधियों ने उन्हें गोली मारी और आराम से चलते बने। समाज को आईना दिखाने वाले एक सख्श ने अपने काम करने का ख़ामियाज़ा भुगता और ज़िंदगी भर का दर्द झेलने के लिए अपने परिवार को छोड़कर दुनिया से सदा के लिए चला गया। राजदेव के आईने में जिन लोगों की काली करतूतें दिख रही थीं या दिख सकती थीं उन्हें उनका ज़िंदा रहना गवारा नहीं था। इसलिए वे सरेशाम मार डाले गए। इस घटना के बाद सीवान से लेकर पूरे बिहार और देश के कई कोनो में विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। ख़ासकर पत्रकार आंदोलित हैं। पुलिस-प्रशासन और सरकार ने कड़े निर्देश ज़ारी करने के अलावा अभी कोई कामयाबी हासिल नहीं की है। इस हत्या का राज़ अब भी बरक़रार है। घटना ने संकेत दे दिया है कि बिहार में जंगलराज लौट रहा है। इसे महज़ संयोग कहें या हकीकत, कि फिर से उसी सीवान में इस जंगलराज का सिंहासन रखे जाने का संकेत मिला है, जो सीवान सालों पहले जंगलराज की राजधानी होने के कलंक के लिए देश-दुनिया में बदनाम हुआ करता था।

Thursday, May 12, 2016

नीतीश की नैया डुबोएंगे महागठबंधन के ये सिपहसलार !



जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार मिशन 2019 के लिए मैदान-ए-जंग में उतर चुके हैं। वे देश भर में अपनी और जदयू की लोकप्रिय छवि बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। चाहे दक्षिण भारत की उनकी हाल की रैलियां हों या फिर यूपी में 12 मई से शुरू हुआ उनका मिशन, हर क़वायद को पीएम पद की ओर कदम बढ़ाने की उनकी महत्वाकांक्षा के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन नीतीश और उनकी पार्टी जदयू को अपने ही राज्य बिहार में अपने नेताओं की बनाई हुई नकारात्मक छवि से उबरने के लिए भारी ऊर्जा लगानी पड़ रही है। नकारात्मक छवि की रही सही कसर महागठबंधन में शामिल उनके मित्र दलों राजद और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पूरी कर दी है। जदयू, कांग्रेस और राजद के राजनेताओं और उनके रिश्तेदारों के कारनामों से जो बदनामी हो रही है, उसको लेकर नीतीश ख़ासे चिंतित हैं। अगर यही सिलसिला ज़ारी रहा तो नीतीश की नैया डुबोने में उनके सिपहसलार ही आगे होंगे।

बुद्ध के बिहार की दो ताज़ा तस्वीरें- एक स्याह, दूसरी सफ़ेद

बिहार में इन दिनो एक साथ दो तस्वीरों पर चर्चा हो रही है। ये दोनो तस्वीरे उस गया से उभरी हैं जिसे पूरी दुनिया भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि के रूप में जानती है। ये दोनो तस्वीरें एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं- एक स्याह तो दूसरी सफ़ेद। एक तस्वीर गया से संबंध रखने वाली जदयू की एक एमएलसी के पुत्र रॉकी के काले कारनामो की, जिस पर मामूली विवाद में एक युवक की हत्या का आरोप है। दूसरी गया से ही संबंध रखने वाले एक विधायक के पुत्र डॉ विवेक कुमार की कामयाबी की, जिसने यूपीएससी की परीक्षा में 80 वें रैंक के साथ बिहार का नाम देश भर में ऊंचा किया है।

Sunday, May 8, 2016

शराब पर पड़ोसियों से क्यों पंगा ले रहे हैं नीतीश !


बिहार में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगे हुए एक महीना से ज़्यादा बीत चुका है। सीएम नीतीश कुमार अब सूबे में घूम-घूम कर इसका फीडबैक ले रहे हैं। न सिर्फ बिहार बल्कि देश भर के कई इलाकों में घूमकर वे अपनी इस उपलब्धि को भुनाने में लग गए हैं। वे शराबबंदी को मिशन 2019 के सबसे बड़े अस्त्र के रूप में भी इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसलिए वे एक तरफ़ तो सूबे में अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल की सरकारों के राजनीतिक नेतृत्वों पर भी शराब के मामले में दबाव बना रहे हैं। दबाव की इस राजनीति का गहराई से मंथन करें तो हम नीतीश की नीयत को परख सकते हैं। आइए देखते हैं, शराब पर पड़ोसियों से नीतीश कुमार के पंगा लेने के क्या है मायने।

Thursday, May 5, 2016

नीतीश के ‘अजीत’ यूपी में मोदी को दिलाएंगे जीत !


जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार मिशन यूपी पर निकल रहे हैं। लेकिन उन्हें इस मिशन की शुरूआत में ही झटका लगा है। ख़बर आ रही है कि लगभग सब कुछ तय होने के बाद राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजीत सिंह नीतीश कुमार का साथ छोड़कर भाजपा के पाले में जाने को तैयार बैठे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ने ऐन मौक़े पर ऐसी चाल चली है कि नीतीश यूपी में अलग-थलग पड़ गए हैं। पूरे मामले का विश्लेषण करने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।

Sunday, May 1, 2016

‘कन्हैया’ तेरी बंसी को बजने से काम !


जेएनयू में कथित देशद्रोही नारे लगाए जाने की घटना के बाद चर्चा में आए विवि छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार इस समय बिहार दौरे पर हैं। बिहार उनका अपना राज्य है। अब जेएनयू में लगे देशद्रोही नारों की घटना का मीडिया ट्रायल धीरे-धीरे मद्धिम पड़ता जा रहा है। इसके बावजूद कन्हैया चर्चित चेहरा बने हुए हैं। अपनी पटना यात्रा के दौरान उनके द्वारा लालू प्रसाद के पांव छूने का मामला हो, शराब पीने की आज़ादी पर दिया गया बयान हो या फिर किसी न्यूज़ चैनल को पक्षपाती कहने पर छिड़ी चर्चा हो, हर बात को ग़जब की तवज्जो दी जा रही है। बिहार के मीडिया के लिए तो फ़िलहाल न्यूज़ का मतलब काफी कुछ कन्हैया की चर्चा ही रह गया है। कन्हैया पर ज़ारी सियासत में कौन-कौन लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं और इस सेंक की गर्मी कहां तक पहुंच रही है, आइए इसका आकलन करते हैं।