Saturday, September 2, 2017

बिहारः क्यों टूट के दरवाजे पर खड़ी है कांग्रेस

कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस (साभार फाइल फोटो)
बिहार में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग क्या हुए, महागठबंधन का कुनबा ही बिखर गया लगता है. एक तरफ लालू जहां अपने जनाधार को बचाए रखने की कसरत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस टूट के कगार पर पहुंच चुकी है. चर्चा है कि 27 में से 14 विधायकों ने बगावत कर दी है. वे जदयू में शामिल होने की तैयारी में हैं. लेकिन दल बदल कानून के तहत एक साथ 18 विधायकों के टूटने के बाद ही उन्हें मान्यता मिल सकती है. ऐसे में उन्हें चार अन्य विधायकों के अपने पाले में आने का इंतजार है. उधर, अंदरखाने में पक रही इस खिचड़ी से केंद्रीय नेतृत्व सकते में है. उसने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को दिल्ली तलब कर कई निर्देश दिए हैं. राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि देर-सबेर कांग्रेस का यह हश्र होना ही था. कांग्रेस की टूट के क्या हैं मायने, किसकी है यह रणनीति और बिहार में क्या होंगे इसके राजनीतिक परिणाम, आइए इस विश्लेषण में जानते हैं.

Thursday, August 31, 2017

बिहारः नीतीश कुमार बनेंगे भारत के उपप्रधानमंत्री!

पीएम मोदी और नीतीश (साभार फाइल फोटो)
एनडीए में जदयू की वापसी नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए कई सौगातें लेकर आई है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावत तो मिली ही है, चर्चा है कि भाजपा नीतीश को उप प्रधानमंत्री बनने का ऑफर दे रही है. यह 2019 चुनावों के आसापास हो सकता है. बिहार में हर हाल में जीतने की कोशिश के तहत ऐन चुनाव के पहले भाजपा नीतीश को इस महत्वपूर्ण पद के तोहफे के साथ केंद्र में बुला सकती है. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

Monday, August 28, 2017

बिहारः लालू की रैली में जुटी भीड़ क्या उन्हें वोट भी देगी

लालू की रैली में जुटी भीड़ (साभार फाइल फोटो)
पटना में रविवार को संपन्न लालू की ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ महारैली में खासी भीड़ जुटी. इसने यह साबित किया कि लालू अब भी भीड़ जुटाने में माहिर हैं. उनका कैडर वोट बैंक भले ही दरक गया हो, लेकिन अब भी कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने का उनका मैनेजमेंट गजब का है. अब अहम सवाल यह है कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह भीड़ क्या वोट में बदल पाएगी. लालू अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके सामने अपने बेटों को स्थापित करने की चुनौती है. सारा दारोमदार छोटे बेटे तेजस्वी पर टिका है. वे लालू की तरह तेज-तर्रार नेता की छवि में फिट भी हो रहे हैं. लेकिन जब तक चुनाव में सत्ता पाने लायक या उसे प्रभावित करने लायक जीत हासिल नहीं करेंगे तब तक उनकी लड़ाई का कोई मतलब नहीं रह जाता.

Saturday, August 26, 2017

बिहार: थके-हारे नेताओं के बूते पटना रैली में तेजस्वी का कद बढ़ाएंगे लालू

लालू की रैली की होर्डिंग (साभार फाइल फोटो)
पटना के गांधी मैदान में रविवार को लालू की ‘देश बचाओ, भाजपा भगाओ’ महारैली को प्रमुख विपक्षी पार्टियों की खास तवज्जो नहीं मिली है. रैली में न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहुंच रही हैं और न ही उपाध्यक्ष राहुल गांधी. बीएसपी प्रमुख मायावती भी नहीं आएंगी. कांग्रेस की ओर से महासचिव सीपी जोशी और बीएसपी की ओर से महासचिव सतीश चंद्र मिश्र आएंगे. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला आएंगे. इस रैली पर भाजपा बिहार में आयी भीषण बाढ़ को लेकर पहले ही सवाल खड़े कर चुकी है. उधर, बाबा राम रहीम प्रकरण को लेकर देश के उत्तरी इलाके दो दिनों से जल रहे हैं. इन परिस्थितियों में भी लालू की सबसे बड़ी चिंता रैली को सफल बनाने और अपने बेटे तेजस्वी को विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में स्वीकार्यता दिलाने की है.

Thursday, August 10, 2017

बिहारः क्या नीतीश का विकल्प बनकर उभरेंगे शरद यादव

शरद यादव व नीतीश कुमार (साभार फाइल फोटो)
बिहार में जदयू का राजद-कांग्रेस के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाना वरिष्ठ नेता शरद यादव को नहीं भाया. वे इसका विरोध कर चुके हैं. वे नीतीश के फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस समेत कुछ कम्युनिस्ट नेताओं से मिले और और अपनी राय रखी. हालांकि उन्होंने लालू के उस आमंत्रण को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्हें राजद में शामिल होने का न्योता मिला था. शरद यादव फिलहाल बिहार में हैं और वे सारण जिले के सोनपुर से मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मधुबनी होते हुए अपने चुनाव क्षेत्र मधेपुरा तक की सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं. दरअसल इस यात्रा के माध्यम से वे अपने जनाधार को भांपना चाहते हैं. वे यह भी जांचना चाहते हैं कि जदयू के इस फैसले के बाद कौन-कौन से नेता और आम लोगों की कितनी भीड़ उनके साथ आती हैं. उनके मन में विपक्ष में रहते हुए, नीतीश जो विरासत छोड़ गए, उस पर कब्जा करने की इच्छा है.

Tuesday, August 1, 2017

बिहारः शरद यादव और उपेंद्र कुशवाहा के बूते नीतीश-मोदी से लड़ेंगे लालू

शरद यादव व लालू (साभार फाइल फोटो)
बिहार की सत्ता हाथ से जाने के बाद लालू प्रसाद और उनका परिवार अपने जीवन के एक और मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं. एक तरफ घोटालों व अनियमितताओं पर उन पर सीबीआइ, इडी और आयकर विभाग का शिकंजा है तो दूसरी तरफ राजनीतिक साख बचाए रखने की चुनौती. फिलहाल राजनीतिक तौर पर उनकी जमा-पूंजी उनका जातीय समीकरण वाला वोट बैंक ही बचा है, जिसे जानकार अब भी काफी मजबूत मानते हैं. इसलिए लालू अब नए सिरे से बिहार और देश में विपक्ष और खुद को मजबूत बनाने की कवायद में जुट गए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वे नीतीश से नाराज चल रहे शरद यादव को राष्ट्रीय स्तर पर तो उपेंद्र कुशवाहा को बिहार में नेता बनाकर पेश करना चाहते हैं. वे एनडीए के एक और रूठे साथी जीतन राम मांझी को भी अपने साथ लाने की कवायद में हैं.

Thursday, July 27, 2017

बिहारः नीतीश के पाला बदलने के बाद क्या टूटेगा जदयू !

शरद यादव (साभार फाइल फोटो)
नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलकर एनडीए में शामिल होने के बाद जदयू में फूट की आशंका जताई जा रही है. अली अनवर और शरद यादव के नेतृत्व में असंतुष्ट विधायकों की बैठक दिल्ली में बुलाए जाने की संभावना जताई जा रही है. इसको देखते हुए नीतीश कुमार ने इस्तीफे के तुरंत बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा कर दिया था. रातो-रात शपथ ग्रहण का समय तय कर दिया गया. गुरुवार की सुबह नीतीश और सुशील मोदी ने शपथ ले भी ली. उधर, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार नीतीश और भाजपा पर हमले कर रहे हैं. उन्होंने राज्यपाल की भूमिका पर भी टिप्पणी की है. सत्ता जाने से बौखलाए राजद के पास जदयू को तोड़ने की कोशिश के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है. उधर, जदयू भी खामोश नहीं बैठी है. टूट या तोड़ने की खबर के पीछे दरअसल नेताओं के व्यक्तिगत नफे-नुकसान की भावना भी काम कर रही है.