Thursday, August 31, 2017

बिहारः नीतीश कुमार बनेंगे भारत के उपप्रधानमंत्री!

पीएम मोदी और नीतीश (साभार फाइल फोटो)
एनडीए में जदयू की वापसी नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए कई सौगातें लेकर आई है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावत तो मिली ही है, चर्चा है कि भाजपा नीतीश को उप प्रधानमंत्री बनने का ऑफर दे रही है. यह 2019 चुनावों के आसापास हो सकता है. बिहार में हर हाल में जीतने की कोशिश के तहत ऐन चुनाव के पहले भाजपा नीतीश को इस महत्वपूर्ण पद के तोहफे के साथ केंद्र में बुला सकती है. नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.


सुशील मोदी और नीतीश (साभार फाइल फोटो)
पिछली गलतियों की वजह से करीब चार साल तक बिहार में सत्ता से दूर रहने के बाद भाजपा ने नीतीश को अपने पाले में करने में हाल ही में सफलता पाई थी. उसे मालूम है बिहार पर फतह और यहां लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहना उसके दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने की भी काफी हद तक गारंटी होगी. वह इस बार नीतीश को अपने सभी सहयोगियों से ज्यादा तवज्जो दे रही है. वह शरद यादव और लालू के नेतृत्व में विपक्ष की एकजुट होने की हर कोशिश को नाकाम करना चाहती है. हालांकि विपक्ष की इस एकता की कोशिश को राजनीतिक विश्लेषक कमजोर कह रहे हैं, लेकिन भाजपा किसी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं है. वह नीतीश को देश का डेप्युटी पीएम बनाकर शरद-लालू और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को एक झटके में निबटा देने की रणनीति पर चल रही है. भाजपा नीतीश के माध्यम से लालू और उनके परिवार को भी राजनीतिक तौर पर निबटाने की कोशिश में है. उसे पता है कि नीतीश का साथ मिलने की वजह से ही लालू को राजनीतिक जीवनदान मिला था और वे सत्ता में भी आ गए थे. भाजपा लालू को अब ज्यादा मौके देने के मूड में नहीं है. उसे मालूम है कि लालू और नीतीश के अलावा बिहार में उसके सामने टिकने वाला कोई नहीं है. इसलिए नीतीश को अपने पाले में करने के बाद अब वह लालू पर आक्रामक है.

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद (साभार फाइल फोटो)
उधर, नीतीश कुमार भी इसे अपने लिए नए अवसर के तौर पर देख रहे हैं. उन्हें लगता है कि सारी आलोचनाओं के बावजूद नरेंद्र मोदी को 2024 या उसके आगे भी हरा पाना बिखरे विपक्ष के बूते में नहीं है. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कहकर कि नरेंद्र मोदी आनेवाले समय में भी अजेय हैं, अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है. नीतीश को लगता है कि पीएम न सही डेप्युटी पीएम बनने का उनका ख्वाब पूरा होने जा रहा है. इससे उन्हें और उनकी पार्टी जदयू को राष्ट्रीय फलक पर आने का मौका मिलेगा. यही नहीं भाजपा के साथ रहते हुए वे बिहार की सत्ता पर भी लंबे समय तक काबिज रहेंगे. उनका नियंत्रण बिहार की सत्ता पर बना रहेगा. उन्हें मालूम है कि लालू और उनके परिवार पर बड़ी मुसीबत आनेवाली है. झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे चारा घोटाले से लेकर रेलवे और बेनामी संपत्ति के मामलों में लालू और उनका पूरा परिवार सीबीआइ के शिकंजे में है. कानूनी जानकारों के अनुसार जेल जाने की आशंका ज्यादा है. ऐसे में नीतीश के लिए बिहार पर शासन करना और केंद्र में अपनी दखल बढ़ाना दोनो ही आसान हैं. इसके लिए वर्तमान में भाजपा से बड़ा सहयोगी और समर्थक उन्हें कोई मिल ही नहीं सकता. बस इसी वजह से यह सारी कवायद शुरू हुई है. देखना होगा कि आनेवाले समय में भाजपा और नीतीश मिलकर क्या फैसले करते हैं.

1 comment:

  1. राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. वैसे ये मानना होगा कि बिहार में लालू जी का यादवों और मुस्लिमों पर अच्छा पकड़ है, वे ही लालू जी के जीवनदाता हैं,ये भीषण बाढ़ से जूझने जे बावजूद पटना की रैली ने साबित कर दिया.
    लालू जी की राजनीति मृतप्राय हो चुकी थी, पर भाजपा ने उनके जीवन पर अमृत की बूंदे टपकाने का काम किया है. जब लालू जी, अपनी राजनीतिक जमीन पुनः हासिल करने के लिए हाथ-पांव भांज रहे थे और नीतीश जी से हाथ मिला चुनाव मैदान में अपने को उतारा तब भारत के प्रधानमंत्री की चुनावी रैली में नीतीश कम लालू जी ही निशाने पर रहे.
    ऐन वक्त पर संघप्रमुख मोहन भागवत जी का आरक्षण पर मुखर बयान बिहार की राजनीति में पिछडों को लालू जी के प्रति लगाव बढ़ने लगा, जो अपनी स्थिति नीतीश (जदयू) से बेहतरीन बनाने में सफल रहे.
    अब देखना है कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी की यह चाल कितनी सफलता हासिल करती है ?

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