Thursday, May 12, 2016

बुद्ध के बिहार की दो ताज़ा तस्वीरें- एक स्याह, दूसरी सफ़ेद

बिहार में इन दिनो एक साथ दो तस्वीरों पर चर्चा हो रही है। ये दोनो तस्वीरे उस गया से उभरी हैं जिसे पूरी दुनिया भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि के रूप में जानती है। ये दोनो तस्वीरें एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं- एक स्याह तो दूसरी सफ़ेद। एक तस्वीर गया से संबंध रखने वाली जदयू की एक एमएलसी के पुत्र रॉकी के काले कारनामो की, जिस पर मामूली विवाद में एक युवक की हत्या का आरोप है। दूसरी गया से ही संबंध रखने वाले एक विधायक के पुत्र डॉ विवेक कुमार की कामयाबी की, जिसने यूपीएससी की परीक्षा में 80 वें रैंक के साथ बिहार का नाम देश भर में ऊंचा किया है।

ये दोनो कारनामे दो राजनीतिज्ञों के पुत्रों ने किए हैं। दोनो में कई समानतायें हैं तो कई भिन्नताएं। मामूली विवाद में आदित्य सचदेव नामक एक युवक की हत्या का आरोपी रॉकी जदयू की एमएलसी मनोरमा देवी का बेटा है। वहीं आईएएस की परीक्षा में 80 वें रैंक के साथ चुना गया डॉ विवेक कुमार गया के नवीनगर के जदयू विधायक विरेंद्र कुमार सिंह का पुत्र है। ये भी संयोग था कि रॉकी जिस दिन जेल भेजा गया उसी दिन विवेक की यूपीएससी में बड़ी कामयाबी की ख़बर आई। दोनो गया के रहने वाले हैं। दोनो की उच्च शिक्षा दिल्ली के बड़े शिक्षण संस्थाओं में हुई है।

दोनो में कई समानतायें हैं तो कई भिन्नतायें। मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार रॉकी को बचपन से ही बंदूक से खेलने, महंगी चीज़ें इस्तेमाल करने और सैर सपाटें का शौक था। रॉकी की राजनीतिक पृष्ठभूमि ने उसे उद्दंड, मग़रूर और आपराधिक प्रवृत्ति का बनाया। वहीं विवेक राजनीतिक पृष्ठभूमि में पला-बढ़ा होने के बावजूद अध्ययनशील, शांत, कुशाग्र बुद्धि का बना। रॉकी ने बिहार के उस स्याह पक्ष को फिर से ताज़ा किया जिसे कभी देश और दुनिया हिक़ारत की नज़र से देखती थी। वहीं विवेक ने उस धवल पक्ष को उभारा जिसे दुनिया बिहार में सदियों से देखती रही है।

बिहार की भूमि शांति, अहिंसा, ज्ञान और तप-साधना की भूमि रही है। इसकी मिट्टी में ऐसे ऐसे रत्न पैदा हुए हैं जिन्होने दुनिया को दिशा दी है। लेकिन आज जिस स्याह पक्ष की यादें एक बार फिर से ताज़ा हो गई हैं उसे ख़ारिज़ किया जाना चाहिए। जिस सफ़ेद पक्ष की वज़ह से बिहार फिर से देश भर में जाना जा रहा है उसे ज़्यादा से ज़्यादा प्रचारित करने की ज़रूरत है।

4 comments:

  1. सभी संस्कारों पर निर्भर करता है.

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने. जैसे संस्कार मिलेंगे वैसा व्यक्तित्व बनेगा.

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  2. बिल्कुल सही, हम जो बोते हैं वही पाते हैं।यह संयोग है कि दोनों बातें एक ही दिन सामने आईं।परंतु इससे यह भी सिद्ध होता है कि अच्छाई और बुराई दोनों एक ही धरती पर होती रही हैं।हमें अच्छाई का चयन कर अपने प्रदेश को आगे बढ़ाना है ।

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    1. ज्योत्स्ना जी, ये संयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश दोनो संदर्भ एक साथ देख रहा है. बिहार को विवेक जैसे युवाओं की ज़रूरत है.

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