Sunday, May 8, 2016

शराब पर पड़ोसियों से क्यों पंगा ले रहे हैं नीतीश !


बिहार में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगे हुए एक महीना से ज़्यादा बीत चुका है। सीएम नीतीश कुमार अब सूबे में घूम-घूम कर इसका फीडबैक ले रहे हैं। न सिर्फ बिहार बल्कि देश भर के कई इलाकों में घूमकर वे अपनी इस उपलब्धि को भुनाने में लग गए हैं। वे शराबबंदी को मिशन 2019 के सबसे बड़े अस्त्र के रूप में भी इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसलिए वे एक तरफ़ तो सूबे में अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल की सरकारों के राजनीतिक नेतृत्वों पर भी शराब के मामले में दबाव बना रहे हैं। दबाव की इस राजनीति का गहराई से मंथन करें तो हम नीतीश की नीयत को परख सकते हैं। आइए देखते हैं, शराब पर पड़ोसियों से नीतीश कुमार के पंगा लेने के क्या है मायने।

अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बिहार में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी अभी लोगों के लिए वेट एंड वाच पीरियड में हैं। कुछ लोग अब भी किसी कानून के तहत इसे समाप्त करवाने पर तुले हुए हैं तो कुछ लोगों को लगता है कि सूबे में शराबबंदी सफल नहीं हुई है। लोगों का कहना है कि बिहार में शराब अब भी मिल रही है। ये अलग बात है कि अब लोगों को इसके लिए तीन-चार गुनी ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। इतना ही नहीं मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल की सीमा में भी बिहार के लोगों के लिए देसी-विदेशी शराब की दुकाने सजने लगी हैं। उन सीमाओं पर बिहार की शराबबंदी को तवज्जो देते हुए किसी ठोस कार्रवाई की ख़बर सामने नहीं आ रही है। नीतीश कुमार ने इसे लेकर कई बार अपनी चिंता ज़ाहिर की है। बिहार सरकार ने तो झारखंड को राज्य विभाजन के एक कानून का हवाला देकर कार्रवाई करने को कहा है जिसके तहत सीमा के पास शराब की दुकाने नहीं खोले जाने का कानून है। नीतीश की शराबबंदी की इस दृढ़ इच्छाशक्ति की सफलता या विफलता का फ़ैसला तो वक़्त ही करेगा।
नीतीश कुमार शराब के मामले में पड़ोसी राज्यों पर तगड़ा दबाव बनाने की रणनीति पर चल रहे हैं। ख़ासकर झारखंड पर जहां उनके सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वदी दल भाजपा की सरकार है। नीतीश की इस मुद्दे पर झारखंड के सीएम रघुवर दास के साथ कई बार तीखी बयानबाज़ी हो चुकी है। उन्होंने केंद्र सरकार तक से ये आग्रह किया है कि देश स्तर पर शराबबंदी का कानून बने। हालांकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर वे कड़ा प्रहार नहीं कर रहे हैं। उन्हें मिशन 2019 के लिए मुलायम-अखिलेश और ममता बनर्जी से राजनीतिक सहायता की दरकार है। रही बात पड़ोसी देश नेपाल की तो ये एक अंतर्राष्ट्रीय मामला है जिस पर नीतीश फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं और तोल मोल कर बोल रहे हैं। 

सारांश ये कि नीतीश कुमार शराबबंदी के इस बड़े फैसले के माध्यम से अपनी पार्टी जदयू का देश भर में विस्तार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। वे दूसरे राज्यों की जनता को ये संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने बिहार में शराबबंदी समेत बड़े जनहित के जो काम किये हैं वे देश भर में कर सकते हैं। इस माध्यम से वे जनता को अपनी राष्ट्रीय सोच से अवगत कराना चाहते हैं। ये तो वक्त ही बताएगा कि नीतीश की इस नीति पर देश की जनता कैसा रूख अख्तियार करती हैं। लेकिन वर्ष 2019 तक नीतीश कुमार खुद को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ज़रूर बनाए रखना चाहते हैं, चाहे यूपी, झारखंड, केरल आदि की रैलिया हों या फिर आने वाले समय में दिल्ली में बड़े कार्यक्रमों की योजना, सबकुछ इसी रणनीति का हिस्सा है।

No comments:

Post a Comment