Wednesday, March 1, 2017

बिहार के दरभंगा में 'पेल्टियर इफेक्ट' पर होगा शोध

कार्यक्रम में बोलते प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा
वस्तुओं को शीतल रखने के लिए फ्रिज-कूलर से लेकर कई चिकित्सा व वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने के लिए विकसित देश अब 'पेल्टियर इफेक्ट' नामक तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। भारत में यह क्षेत्र नया है। इस पर कुछ विश्वविद्यालयों में शोध शुरू हुए हैं। लेकिन बिहार में इस पर कोई काम नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में विज्ञान के 'पेल्टियर इफेक्ट' विषय पर शोध शुरू हो सकता है। यह पहल स्वयंसेवी संस्था डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा व प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने की है। वर्मा जी पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मित्र व इसरो में उनके सहयोगी वैज्ञानिक रहे हैं। वे 'तेजस' को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में रहे हैं। इस पहल पर ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति ने शोधार्थियों के लिए ऐसी व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया है। क्या है 'पेल्टियर इफेक्ट' और इस पर शोध से देश को क्या फायदा होगा इसके बारे में जानते हैं।



कार्यक्रम में बोलते एलएनएमयू के कुलपति प्रो. राजकिशोर झा
बकौल मानस बिहारी वर्मा, 'पेल्टियर इफेक्ट' एक वैज्ञानिक तकनीक है। इसका प्रयोग बर्फ बनाने और खाद्य व पेय पदार्थों को शीतल व अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। सीपीयू, रेफ्रिजरेटर, कूलर, मिसाइल अंतरिक्ष अनुप्रयोग, चिकित्सा व वैज्ञानिक उपकरण बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है। इस नई तकनीक से ओजोन परत की रक्षा होती है। इसका प्रयोग कर बने सामान हम दूसरे देशों को निर्यात कर सकते हैं। दुनिया में इसकी मांग है। उन्होंने कहा कि भारत के छात्र-छात्राएं इस विषय पर शोध करें तो उनके लिए बहुत संभावनाएं हैं। बिहार के विश्वविद्यालयों में इस पर शोध की व्यवस्था होनी चाहिए। 

कार्यक्रम में शिरकत करते विवि के शिक्षक
 'पेल्टियर इफेक्ट एंड इट्स अप्लीकेशंस' विषय पर आयोजित सेमिनार में बोलते हुए ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. राजकिशोर झा ने कहा कि बिना विज्ञान के किसी देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां के विद्यार्थियों में प्रतिभा बहुत है। लेकिन सही प्लेटफॉर्म नहीं होने की वजह से वे पिछड़ जाते हैं। विद्यार्थियों को शोध के लिए संसाधन की व्यवस्था की जाएगी। 

सेमिनार में प्रतिभागी छात्र-छात्राएं
डॉ प्रभात दास फाउंडेशन नामक संस्था अमेरिका में रह रहे बिहार मूल के एक चिकित्सक डॉ प्रभात रंजन दास ने शुरू की थी। यह संस्था पिछले कई वर्षों से उत्तर बिहार के जिलों में काम कर रही है। इसके माध्यम से शिक्षा, खेल व प्रतिभा को बढ़ावा देने से लेकर सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

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