Monday, February 27, 2017

नीतीश सरकार पर बड़ा खतरा बने शिक्षा-परीक्षा के घोटालेबाज !

बीेएसएससी पेपर लीक कांड की जांच (फोटो साभार)
बीएसएससी पेपर लीक कांड की जांच बिहार सरकार के लिए मुसीबत की जड़ बन गई है। राज्य सरकार की जांच एजेंसियां मामले में जितनी गहराई तक पहुंच रही हैं, उन्हें हैरानी-परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार को इस जांच में हर कदम इतनी सावधानी के साथ रखना पड़ रहा है जैसे कि वे बारूद की ढेर पर नंगे पांव चल रहे हों। इस कांड में संलिप्त होने के आरोप ब्यूरोक्रेट्स से लेकर विधायक व मंत्री तक पर हैं। कहा यह जा रहा है कि ‘परमेश्वर’ को ‘चढ़ावा’ चढ़ाने वाले हर दल व ब्यूरोक्रेट्स के लोगों को उनका ‘आशीर्वाद’ बिना किसी भेदभाव के मिला था। खुद ‘परमेश्वर’ ने अपने ‘लाभार्थी भक्तों’ के नाम जांच एजेंसियों को गिनाए थे। जानकारों का मानना है कि इनमें से कई नाम ऐसे भी हैं जिनकी जड़ें प्रशासन व सरकार में बहुत गहरी हैं। जानकारों का ये भी कहना है कि अगर ‘उन जड़ों’ को काटने की कोशिश की गई तो सरकार के गिरने का खतरा प्रबल है।

मामले में हाल ही में गिरफ्तार किए गए बीएसएससी के अध्यक्ष आइएएस सुधीर कुमार के पक्ष में आइएएस एसोसिएशन उठ खड़ा हुआ है। अफसरों की यह लॉबी काफी मजबूत है। इसने मामले की जांच सीबीआइ से कराए जाने की मांग कर सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। एसोसिएशन ने कई प्रशासनिक पदों पर रहने से भी इन्कार कर दिया है। यह भी कहा जा रहा है कि आइएएस लॉबी का भीतरी समर्थन कई धाकड़ राजनीतिज्ञ भी कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एसोसिएशन ने सीबीआइ जांच की मांग कर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया है। एसोसिएशन को यह मालूम है कि इस घोटाले में सिर्फ आइएएस ही नहीं बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों के भी नाम हैं।

सरकार के सामने सीबीआइ जांच में जाने में बहुत बड़ा खतरा है। दरअसल सीबीआइ पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता। कहा जाता है कि भीतर से केंद्र सरकार इस पर जरूर नियंत्रण रखती है। ऐसे में महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार पर भारी दबाव बन चुका है। एक तरफ जनता के सामने उनकी स्वच्छ छवि व विकास पुरूष का लेबल बचाए रखने की चुनौती है, तो दूसरी तरफ इस कांड के दोषियों को कठघरे तक पहुंचाना। नीतीश कुमार ने सूबे की सत्ता संभालने के बाद कई बड़े काम किए थे। तब उन्होंने बिहार के बड़े-बड़े अपराधियों को जेल के भीतर पहुंचाया था। सूबे से अपराध का ग्राफ गिरा था। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त शराब माफिया के डर को दरकिनार कर उन्होंने शराबबंदी लागू कर दी। लेकिन बीएसएससी पेपर लीक कांड इनसे भी बड़ा मामला है। सरकार ने एसआइटी बनाकर धाकड़ लोगों पर हाथ डालना शुरू कर दिया है। अभी केवल कुछ छोटे-मोटे विषैले सांप पकड़ में आ रहे हैं। हो सकता है कि इनमें से कुछ विषहीन भी हों। गहराई तक पैठने पर बड़े अजगरों की फौज से मुकाबला तय है। देखना दिलचस्प होगा की नीतीश सरकार अजगरों पर हाथ डालने की हिम्मत करती है या फिर अपना अस्तित्व बचाने के लिए छोटे-मोटे सांपों को कुछ समय के लिए पिंजरे में कैद करने का दिखावा भर कर पाती है।

1 comment:

  1. जहाँ तक मेरा मानना है कि नितीश जी स्वयं एक स्वच्छ छवि के व्यक्ति हैं. जब से इन्होंने महागठबंधन का साथ लिया है, नित नये घोटाले सामने आ रहें हैं. आईएएस अधिकारियों ने जिस तरह आंदोलन की राह पकड़ी है, उसे पहले ही करनी चाहिए. वे लोग नेताओं के आगे-पीछे करते ही नजर आते हैं, साफ है बगैर लोभ नहीं करते होंगे. आज वे कह रहें हैं कि मौखिक आदेश नहीं मानेंगे....
    खैर, नितीश जी को अपनी स्वच्छ और इमानदार छवि बनानी है तो, सत्ता का लोभ नहीं कर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर ही देनी चाहिए. इससे मुखौंटे के पीछे वालों की पहचान तो ही जाएगी साथ ही नितीश जी की छवि उभरेगी भी.

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