Friday, February 10, 2017

किस डिटर्जेंट से धुलेंगे बिहार को लालकेश्वर व परमेश्वर के दिए दाग़

साभार फोटो

प्रतिभावान बिहार की उज्ज्वल छवि पर कालिख पोतने वाले लालकेश्वर की चर्चा अभी जारी ही थी कि परमेश्वर नाम का एक और काला अध्याय यहां लिख दिया गया। इंटर टॉपर घोटाले की जांच अभी चल रही है। मामला अदालत में है। अब बिहार कर्मचारी चयन आयोग के भीतर से जो कालिख निकल रही है उसने फिर से सूबे की छवि पर काला दाग़ लगा दिया है। सूबे में शिक्षा की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास कर रही नीतीश कुमार की सरकार एक बार फिर निशाने पर आ गई है। आखिर कौन सी वजहें हैं जिसने अपनी नाक के नीचे पल रहे लालकेश्वरों व परमेश्वरों पर समय रहते लगाम लगाने से नीतीश कुमार चूक रहे हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं इस विश्लेषण में।


इंटर टॉपर घोटाले के संरक्षक लालकेश्वर व मास्टरमाइंड बच्चा राय तक पहुंची एसआइटी को इस खेल में कई सफेदपोशों, खद्दरधारियों व नौकरशाहों के शामिल होने की बात पता चली थी। इसी तरह बीएसएससी पेपर लीक कांड में भी परमेश्वर राम ने जो खुलासे किए हैं उनमें मंत्री व विधायक से लेकर कई बड़े लोगों के शामिल होने की बात सामने आ रही है। आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि जिस तरह लालकेश्वर व बच्चा राय के मामले में मलाई खाने वाले बड़े लोगों के नाम जनता आज तक नहीं जान पाई, वैसे ही परमेश्वर के आकाओं व उससे लाभ पाने वाले बड़े लोगों की संलिप्तता आम लोगों के सामने नहीं आ पाएगी।

विपक्षी भाजपा का यह आरोप है नीतीश कुमार अपनी छवि गढ़ने की व्यस्तता में बिहार की छवि पर कालिख लगते देख रहे हैं। इंटर टॉपर घोटाले के सामने आने बाद भी सूबे में शिक्षा-परीक्षा की गरिमा से खिलवाड़ कर काली कमाई करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। आखिर क्या वजह है कि सरकार इन पर लगाम नहीं लगा पा रही है। विपक्ष का सीधा आरोप है कि इन बड़े घोटालों को प्रश्रय देने वाले लोग सरकार व ब्यूरोक्रेसी से लेकर बाबूओं की जमात तक में बैठे हैं। महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार या तो विभागों के कामकाज पर नजर नहीं रख रहे हैं या फिर गठबंधन सरकार की मजबूरी में अनियमितताओं पर अपनी मौन स्वीकृति दे रहे हैं।

विपक्ष के तर्कों को राजनीतिक आरोप कहकर एकबारगी खारिज नहीं किया जा सकता। बिहार में गड़बड़ियों पर मीडिया के खुलासों पर भी सरकार के कान खड़े नहीं हो रहे हैं। चाहे इंटर टॉपर घोटाले का मामला हो या फिर हाल का बीएसएससी पेपर लीक कांड, मीडिया ने सबूतों के साथ इनका खुलासा पहले किया था। लेकिन सरकार व ब्यूरोक्रेसी में शामिल लोगों ने मीडिया को गलत ठहरा दिया। सबसे बड़ी बात यह कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने भी पानी सिर के ऊपर से गुजरने के पहले तक कोई ध्यान नहीं दिया। यह नीतीश की मजबूरी थी या लापरवाही इस पर राजनीतिक पंडित अपनी राय दे रहे हैं। लेकिन इन दोनो घटनाओं ने विकास के रास्ते पर चल रहे बिहार की सुधारवादी छवि को दागदार बना दिया है। इसकी नैतिक जिम्मेवारी तो सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की ही बनती है। इस लिहाज से अगर इन दोनो घोटालों में संलिप्त राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स, बाहुओं व अन्य बड़े लोगों के नाम वे जांच के बाद सामने लाने में रुचि दिखाते हैं तो उनकी ईमानदार छवि पर उठ रही उंगली थम जाएगी। सरकार इन मामलों में क्या करेगी यह तो समय ही बताएगा।

1 comment:

  1. इस सरकार की हालत "बन्दर और मदारी" सी है ?
    आपने देखा होगा कि
    मदारी बैठा रहता है, एक हाथ में उसकी पतली सी छड़ी होती है.दूसरे हाथ में जंजीर से बंधा बन्दर होता है. मदारी के इशारे पर उछलता-कूदता है, जब थककर करदब दिखाने से मना कर खौंझाता है तब, मदारी की छड़ी की मार से पुन: करतब दिखाने लगता है.
    ऐसी स्थिति में प्रदेश की स्थिति में सुधार की कल्पना ही बेमानी है.

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