राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (साभार फाइल फोटो) |
महागठबंधन सरकार बनने के पहले तक लालू प्रसाद मुखर हुआ करते थे। शुरुआती दिनों में वे सरकार को लेकर भी टीका-टिप्पणी किया करते थे। लेकिन बाद में उन्हें इस बात का आभास हो गया कि बेटों के करिअर के लिए उन्हें संयमित रहना चाहिए। सरकार बनने के बाद सूबे में अपराध का ग्राफ जब बढ़ा तो चारों ओर से लालू को निशाने पर लिया जाने लगा। इसलिए वे संभलकर बोलने लगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे मौन हो गए। अपनी ही शैली के राजद के एक और नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को छूट दे दी कि वे समय-समय पर बयान दिया करें। रघुवंश ने सीएम नीतीश को ही निशाने पर लेकर बयानबाजी शुरू कर दी।
रघुवंश प्रसाद सिंह को राजद का कद्दावर नेता माना जाता है। वे लालू के वैसे विश्वसनीय सिपाहियों में से एक हैं जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी उनका साथ नहीं छोड़ा। वे बिहार से लेकर दिल्ली तक करीब-करीब लालू की ही शैली में राजनीति करते हैं। वे अगर कुछ कह रहे हैं तो उसका बड़ा अर्थ है। रघुवंश ने नीतीश को निशाने पर लेते हुए यह कहा कि वे यूपी में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। नोटबंदी की तारीफ की। इसलिए वे भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि रघुवंश ने बिल्कुल ठीक कहा है। महागठबंधन में नीतीश की अकुलाहट अब साफ दिख रही है। वे अलग स्टैंड पर चलते हुए दिख रहे हैं। उनकी चिंता अपनी छवि व सरकार दोनों को बचाने की है। ऐसे में लालू रघुवंश के मुंह से अपनी खीज निकाल रहे हैं। देखना होगा कि यह जुबानी जंग आगे कौन सा रूप लेती है।
nitish ke dono hath me ladoo hai.
ReplyDeleteयूपी में भाजपा की जीत से नितीश जी को निराशा हाथ लगी है. लालू जी के कार्यशैली से ये हताश हैं.
ReplyDeleteकांग्रेस अब ऐतिहासिक पार्टी बनने की कागार पर है तो लालू जी राष्ट्रीय स्तर के नेता नहीं हैं.
नितीश जी को सत्ता चाहिए तो भाजपा को अपनी अजेय जीत के लिए बिहार में कुर्मी वोट.दोनो की मजबूरी है पुनःएका की.
आने वाला समय मध्यावधि चुनाव का स्पष्ट संकेत है.