Wednesday, March 15, 2017

ये रघुवंश नहीं लालू खुद बोल रहे हैं नीतीश जी !

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन में संग्राम मचा है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार को निशाने पर ले रखा है। वे यूपी चुनाव में कांग्रेस-सपा की हार का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने सीधे-सीधे यह कह दिया कि यूपी में जदयू-बीजेपी मैच फिक्स था। इसकी कड़ी प्रतिक्रिया जदयू व कांग्रेस में हुई। जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने रघुवंश को शिखंडी कहा और उन्हें राजद से बर्खास्त करने की मांग कर डाली। उधर, नीतीश के स्टैंड की तारीफ के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि एनडीए के जो नेता नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं वे महागठबंधन में क्यों नहीं शामिल हो जाते। इन सबके बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चुप हैं। वे न तो रघुवंश को टोक रहे हैं और न ही जदयू-कांग्रेस की मांग पर पर ही कुछ कह रहे हैं। क्या हैं इसके मायने, आइए जानने की कोशिश करते हैं।

महागठबंधन सरकार बनने के पहले तक लालू प्रसाद मुखर हुआ करते थे। शुरुआती दिनों में वे सरकार को लेकर भी टीका-टिप्पणी किया करते थे। लेकिन बाद में उन्हें इस बात का आभास हो गया कि बेटों के करिअर के लिए उन्हें संयमित रहना चाहिए। सरकार बनने के बाद सूबे में अपराध का ग्राफ जब बढ़ा तो चारों ओर से लालू को निशाने पर लिया जाने लगा। इसलिए वे संभलकर बोलने लगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे मौन हो गए। अपनी ही शैली के राजद के एक और नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को छूट दे दी कि वे समय-समय पर बयान दिया करें। रघुवंश ने सीएम नीतीश को ही निशाने पर लेकर बयानबाजी शुरू कर दी।

रघुवंश प्रसाद सिंह को राजद का कद्दावर नेता माना जाता है। वे लालू के वैसे विश्वसनीय सिपाहियों में से एक हैं जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी उनका साथ नहीं छोड़ा। वे बिहार से लेकर दिल्ली तक करीब-करीब लालू की ही शैली में राजनीति करते हैं। वे अगर कुछ कह रहे हैं तो उसका बड़ा अर्थ है। रघुवंश ने नीतीश को निशाने पर लेते हुए यह कहा कि वे यूपी में चुनाव प्रचार करने नहीं गए। नोटबंदी की तारीफ की। इसलिए वे भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि रघुवंश ने बिल्कुल ठीक कहा है। महागठबंधन में नीतीश की अकुलाहट अब साफ दिख रही है। वे अलग स्टैंड पर चलते हुए दिख रहे हैं। उनकी चिंता अपनी छवि व सरकार दोनों को बचाने की है। ऐसे में लालू रघुवंश के मुंह से अपनी खीज निकाल रहे हैं। देखना होगा कि यह जुबानी जंग आगे कौन सा रूप लेती है।

2 comments:

  1. nitish ke dono hath me ladoo hai.

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  2. यूपी में भाजपा की जीत से नितीश जी को निराशा हाथ लगी है. लालू जी के कार्यशैली से ये हताश हैं.
    कांग्रेस अब ऐतिहासिक पार्टी बनने की कागार पर है तो लालू जी राष्ट्रीय स्तर के नेता नहीं हैं.
    नितीश जी को सत्ता चाहिए तो भाजपा को अपनी अजेय जीत के लिए बिहार में कुर्मी वोट.दोनो की मजबूरी है पुनःएका की.
    आने वाला समय मध्यावधि चुनाव का स्पष्ट संकेत है.

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