सोनिया गांधी (साभार फाइल फोटो) |
राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव में एनडीए काफी मजबूत स्थिति में होगा। लेकिन अगर आरएसएस के दबाव पर कोई उम्मीदवार चुना जाता है तो हो सकता है कि एनडीए के भीतर ही उसका विरोध शुरू हो जाए। कांग्रेस इसी विरोध का फायदा उठाना चाहती है। वह संघ के विरोध के नाम पर विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त करना चाहती है। हालांकि कांग्रेस को यह मालूम है कि विरोध के लिए खड़ा किया गया उसका प्रत्याशी बस प्रतीकात्मक विरोध करने की स्थिति में ही होगा। क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अपनी जीत सुनिश्चित करने वाला प्रत्याशी ही उतारेगा।
हाल में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव से सोनिया की मुलाकात हुई है। जदयू वर्ष 2019 के चुनाव के लिए कांग्रेस से समर्थन चाहता है। वह लोकसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में गठबंधन बनाकर लड़ने की इच्छा रखता है। हो सकता है कि कांग्रेस भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए यह डील जदयू के साथ कर ररही हो। राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्ष को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रही हो। देखना होगा कि कांग्रेस की यह पहल भाजपा के खिलाफ कितनी रंग लाती है।
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