Friday, July 14, 2017

बिहारः महागठबंधन तोड़ने को बेकरार जदयू, तो टूटेगी पार्टी भी...

जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह (साभार फाइल फोटो)
बिहार में महागठबंधन की टूट अब निश्चित लगने लगी है. जदयू लगातार हमलावर है तो राजद रक्षात्मक मुद्रा में. शुक्रवार को जदयू प्रवक्ता नीरज ने सीधे-सीधे लालू से सवाल किया कि वो बताएं कि इतनी संपत्ति कहां से लाए. यह संकेत है कि नीतीश अब अलगाव के रास्ते पर बढ़ चले हैं. लेकिन यदि महागठबंधन टूटता है तो दोनों ही पार्टियों पर टूट का खतरा होगा. जिन विधायकों या मंत्रियों को सत्ता सुख से वंचित रहना गवारा नहीं, वे बिना देर किए पाला बदलने को तैयार बैठे होंगे. हालांकि दोनों ही पार्टियां यह दावा कर रही हैं कि महागठबंधन टूटने पर वे सरकार बना लेंगीं. जैसे दोनो को एक-दूसरे को तोड़ लेने का पुख्ता विश्वास है.


जदयू प्रदेश प्रवक्ता नीरज (साभार फाइल फोटो)
तेजस्वी को जनता के बीच अपनी सफाई देने के लिए चार दिन का वक्त देने वाले नीतीश कुमार की पार्टी अब लालू एंड फैमिली को बख्शने के मूड में नहीं है. लंबे समय से अपने अलग स्टैंड पर चल रहे नीतीश को लालू का ढाई साल पुराना साथ छोड़ने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की यह दो टूक कि तेजस्वी को जवाब तो देना ही होगा, राजद को मुश्किल में डाल चुका था. अब जदयू प्रवक्ता नीरज का सीधे लालू पर हमलावर होना टूट का बड़ा संकेत है. हालांकि नीतीश को इस सवाल का जवाब भी देना होगा कि लालू पर पहले से घोटाले का मुकदमा चल रहा है, इसके बावजूद उन्होंने उनके साथ गठबंधन किया, तब इस तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया. राजद भी यह सवाल उनसे पूछ रहा है.

राजद प्रदेश प्रवक्ता मनोज झा (साभार फाइल फोटो)
महागठबंधन की टूट का एक दूसरा पहलू भी है. जदयू और राजद के दावे कि वे टूट की स्थिति में भी सरकार बना लेंगे, पार्टियों में टूट की तरफ इशारा करता है. जदयू के लिए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लेना संभव है. लेकिन राजद का यह दावा बड़े संकेत देता है. इसका मतलब है कि पार्टी में एक-दूसरे को तोड़ने का खेल चल रहा है. लेकिन यह तभी संभव है जब विधायकों को राजद सत्ता बचाती हुई नजर आए. इसके पहले नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाकर सरकार बनाने की पहल कर सकते हैं और राजद का यह सपना चकनाचूर हो सकता है. दूसरी तरफ राजद में टूट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. सरकार जाने की स्थिति में उनके विधायक जदयू के साथ जा सकते हैं. भाजपा इस पूरे खेल को बाहर से नियंत्रित करने की कोशिश करेगी. क्योंकि भाजपा के कई नेता यह दावा करते रहे हैं कि महागठबंधन के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.

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