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नीतीश कुमार व लालू प्रसाद अखिलेश के साथ (फाइल फोटो) |
उत्तर प्रदेश की ‘साइकिल’ रेस में अखिलेश की जीत के बाद यह काफी हद तक तय हो चुका है कि वहां गठबंधन के बूते चुनाव लड़ा जाएगा। एक अरसे से बाप-बेटे के झगड़े पर नजर गड़ाए बिहार के सत्ताधारी बड़े भाई लालू और छोटे नीतीश यूपी चुनाव को लेकर निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। नीतीश पहले संकेत देते रहे हैं कि वे अखिलेश के साथ रहेंगे। लालू ने शुरू में यूपी के सत्ताधारी परिवार की एकता पर बल देते हुए मुलायम को ज्यादा तवज्जो दी थी। लेकिन अब उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वे समधी का साथ चुनाव में छोड़ रहे हैं। लालू के इस निर्णय के बाद नीतीश का स्टैंड बदल सकता है।
बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस यूपी में सपा के दोनो धड़ों के साथ समान रूप से गठबंधन पर विचार करती रही है। कांग्रेस अखिलेश के साथ यूपी में बिहार जैसा महागठबंधन बनाएगी या फिर रामगोपाल की सलाह पर अखिलेश भाजपा के साथ जाएंगे, यह अगले कुछ दिनों में तय हो जाएगा।
यूपी की पल-पल बदलती राजनीतिक स्थिति को देखते हुए फिलहाल यह कहना जल्दीबाजी होगी कि अखिलेश और मुलायम अलग-अलग किन दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इतना तय है कि अगर एक कांग्रेस के साथ जाता है तो दूसरा भाजपा के साथ जाएगा। क्योंकि अकेले चुनाव लड़कर जीतने की उम्मीद दोनों को नहीं होगी। इधर, राजद के बजाए खुद के बूते यूपी में अपनी पार्टी जदयू की ताकत बढ़ाने की काफी समय से कवायद कर रहे नीतीश लालू की घोषणा के बाद भी अखिलेश के साथ बने रहेंगे यह भी फिलहाल तय नहीं है। हाल के दिनों में एनडीए के साथ नीतीश की नजदीकियों ने कई राजनीतिक समीकरण बनने-बिगड़ने के संकेत दिए हैं। ऐसे में अगर नीतीश अपनी ताकत बढ़ाने के लिए यूपी में लालू का साथ न दें तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
यूपी में सपा की फूट पर नजर बनाए दो बड़े खिलाड़ी भाजपा व बसपा इस परिस्थिति को अपने लिए अवसर मानते हैं। पहले के ट्रेंड को देखें तो सपा के कमजोर पड़ने पर वहां बसपा मजबूत होकर उभरती रही है। ऐसे में भाजपा के लिए वहां कितनी संभावनाएं बनेंगी, यह तो समय बताएगा। लेकिन सिर्फ अपनी ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से यूपी के लिए कसरत कर रहे नीतीश और लालू को अपना रोडमैप जल्द तय करना होगा।
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