Wednesday, January 18, 2017

बिहार के फार्मूले पर यूपी फतह की तैयारी में कांग्रेस

अखिलेश, मुलायम व राहुल गांधी (साभार फाइल फोटो)
क्षेत्रीय दलों के कंधों पर सवार होकर सत्ता पाने की जो लत कांग्रेस को लग चुकी है, वह उससे निजात पाना नहीं चाहती। केंद्र की सत्ता गंवाने के बाद बिहार में लालू व नीतीश के साथ महागठबंधन बनाकर सत्ता तक पहुंचने वाली कांग्रेस अब यही प्रयोग यूपी में दोहराने जा रही है। राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपी फतह की जो गणनीति बनाई गई थी, उससे कांग्रेस पीछे हटती दिख रही है। शीला दीक्षित को सीएम फेस बनाकर अकेले चुनाव लड़ने की कवायद अब धरी रह गई है। सपा में चली जबर्दस्त नौटंकी के बाद संकट के दौर से गुजर रही अखिलेश-मुलायम की राजनीति कांग्रेस को कितना लाभ दिलवा पाएगी, यह तो समय बताएगा। उधर, बिहार में अपनी गलतियों से हारी भाजपा यूपी में भी कमजोर होगी, यह कहना फिलहाल मुश्किल है। अगर भाजपा कमजोर भी हुई तो मायावती की बसपा भी सत्ता राहुल-अखिलेश को गिफ्ट में दे देगी, इसकी संभावना भी कम है।




बिहार में लालू व नीतीश की ताकत व भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की अंदरूनी खींचतान की वजह से महागठबंधन सत्ता में आया था। इससे देश के इस महत्वपूर्ण राज्य में वर्षों बाद कांग्रेस को सत्ता सुख नसीब हुआ था। कांग्रेस इस लत को छोड़कर खुद को मजबूत बनाने की कवायद करती नहीं दिख रही है। सवाल यह है कि क्या बिहार की तर्ज पर यूपी में भी कांग्रेस सत्ता में वापस लौटेगी।



बिहार व यूपी की परिस्थितियों में काफी अंतर है। विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार मजबूत स्थिति में थे। उन पर विकास पुरूष का बड़ा लेवल लगा था। उधर, सत्ता से बाहर रहने के बावजूद लालू प्रसाद का जातीय समीकरण बिहार में काम कर रहा था। एक साल पहले लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल कर केंद्र में सत्तासीन भाजपा कई मोर्चों पर आलोचना झेल रही थी। महंगाई चरम पर थी। इसका फायदा महागठबंधन ने उठाया था। यूपी में यह स्थिति नहीं है। पांच साल तक सत्ता में रहने के बावजूद सपा अपनी अंदरूनी कलह की वजह से बैकफुट पर है। मुलायम व अखिलेश इस कलह को चुनाव तक खींचकर ले गए हैं। इसका बड़ा खामियाजा सपा को भुगतना पड़ सकता है। उसके साथ जा रही पार्टियों को भी इस नकारात्मक पहलू का नुकसान भुगतना पड़ेगा। ऐसे में प्रमुख विपक्षी दल बसपा वहां सबसे मजबूत दिख रही है।



भाजपा ने भी बिहार की गलतियों से सीखा है। चुनाव पूर्व जो स्थिति बन रही है उसमें खंडित जनादेश और मायावती को सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा है। ऐसे में सपा के कंधे पर सवार होकर कांग्रेस देश के इस सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य में सत्ता तक पहुंच पाएगी, इसमें शंका है। उधर, अपने दम पर चुनाव लड़ने का सपना दिखाकर ऐन मौके पर पलटना कांग्रेस की अंदरूनी फूट को बढ़ावा दे सकता है। कार्यकर्ता बिहार की तरह यूपी में भी हताश हो सकते हैं। यह कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

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