Wednesday, January 18, 2017

बाहुबली शहाबुद्दीन की सेल्फी बहुत कुछ कहती है

सेल्फी में शहाबुद्दीन (साभार फोटो)
सिवान के बाहुबली सांसद मो शहाबुद्दीन की जेल से ली गई सेल्फी फिलहाल देश-प्रदेश में चर्चा में है। इसके बहाने बिहार की जेलों में व्याप्त गड़बड़ियों पर टीका-टिप्पणी हो रही है। कहा जा रहा है कि शहाबुद्दीन के आगे प्रशासन व जेल के अधिकारी बेबस होते हैं। यह बात गलत नहीं है। शहाबुद्दीन देश की मीडिया में बने रहते हैं, इसलिए इस घटना पर सबकी नजर चली गई। लेकिन जेलों में अपना राज चलाने के लिए शहाबुद्दीन जैसे बाहुबली का होना कोई जरूरी नहीं है। यहां तो छुटभैये अपराधी भी सेलफोन से लेकर नशे की वस्तुएं और रंगरलियां मनाने तक का इंतजाम कर लेते हैं।
आए दिन जेलों में छापेमारी सरकार की रूटीन कार्रवाई है। इसमें अधिकतर बार आपत्तिजनक सामग्री मिलती है। कई बार अपराध होने पर जेल से कॉल की डिटेल निकलती है। गांजा, भांग, ब्लेड, चाकू जैसी वस्तुएं तो आम हैं। सुनने को यह भी मिला कि कुख्यात संतोष झा गिरोह के मुकेश पाठक ने जेल में शादी के बाद सुहागरात भी मना ली। इतना होने के बावजूद अधिकतर मामलों में गड़बड़ी का दोष जेल के किस अधिकारी या कर्मी पर डाला गया, यह आम लोगों को पता नहीं चलता। आम आदमी अपने किसी रिश्तेदार से जेल में मिलने आए तो उसे नजराना देना पड़ता है, ऐसी शिकायतें आती हैं। लेकिन जेल में बंद अपराधियों के लिए वहां सुख-सुविधा से लेकर आपत्तिजनक वस्तुएं तक कैसे पहुंच जाती हैं, यह किसी को पता नहीं चलता। सूबे की जेलों से अपराधियों द्वारा कई बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की बात भी सामने आती है।

शहाबुद्दीन की सेल्फी के बहाने जो चर्चा चल रही है, उस पर सरकार कितनी गंभीर है यह देखने की जरूरत है। जेलों की सुरक्षा खुद जेल प्रशासन भेदता है, ऐसे आरोप लगते रहे हैं। अगर सेल्फी प्रकरण से सरकार सीख ले तो सूबे में न सिर्फ जेल की सुरक्षा पुख्ता होगी बल्कि कई बड़ी आपराधिक घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।

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