Thursday, April 21, 2016

नीतीश के लिए तेजस्वी यादव क्यों नहीं हैं सीएम मैटेरियल


बिहार के गांवों में किसी भोज में अगर आपने कभी पांत में बैठकर खाना खाया होगा तो ये दृष्य ज़रूर देखा होगा। आपके बगल में बैठे किसी व्यक्ति को पूड़ी बुनिया की ज़रूरत पड़ी होगी तो उसने परोसने वाले को बुलाकर ‘आपकी तरफ़’ इशारा करके कहा होगा कि ‘इन्हें’ पूड़ी बुनिया परोस दें। आपके बगल वाले को भी ‘आपसे’ ये उम्मीद रही होगी कि आप भी ये कहें कि ‘इन्हें’ भी परोस दें। बिहार की राजनीति में आजकल कुछ इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। सीएम नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हो गए हैं तो बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी बिहार के सीएम मैटेरियल कहलाने लगे। अब ये अलग बात है कि खुद नीतीश ने तेजस्वी की तरफ़ इशारा करके अब तक ये नहीं कहा कि इन्हें भी ‘पूड़ी बुनिया’ परोसें। मतलब नीतीश के लिए तेजस्वी सीएम मैटेरियल हैं या नहीं इसमें सस्पेंस बरक़रार है। उधर, लालू प्रसाद को ये हड़बड़ी है कि उनका बेटा कितनी जल्दी सीएम मैटेरियल घोषित हो जाए।



बिहार में युवा पीढ़ी के नेताओं में तेजस्वी यादव फिलहाल सबसे बड़े राजनीतिक कद के हैं। बात अगर देश की करें तो यूपी के सीएम अखिलेश यादव के बाद तेजस्वी का कद ही बड़ा है। स्वाभाविक है कि तेजस्वी की महत्वाकांक्षा बिहार के भावी सीएम के रूप में होगी। तेजस्वी से ज्यादा उनके पिता लालू प्रसाद की ये महत्वाकांक्षा होगी क्योंकि लालू अब अपने बेटों में ही अपनी राजनीतिक उपलब्धि ढूंढते हैं। तो लालू को ये हड़बड़ी है कि उनका होनहार बेटा तेजस्वी कितनी जल्दी बिहार की विरासत संभाल ले। लेकिन मुश्किल ये है कि चाचा नीतीश की मर्ज़ी के बिना भतीजा तेजस्वी का बिहार में सीएम मैटेरियल बन पाना मुश्किल है। अगर ये कहें कि लालू ने नीतीश को पीएम मैटेरियल कहकर अपने होनहार बेटे को बिहार में प्रोमोट किए जाने का मार्ग प्रशस्त किया तो ग़लत नहीं होगा। इतना ही नहीं पिता की रणनीति को आगे बढ़ाते हुए अब तेजस्वी भी नीतीश को पीएम मैटेरियल कहने के मौके ढूंढते रहते हैं।



यहां बड़ा सवाल ये है कि तेजस्वी यादव को सीएम मैटेरियल घोषित करने में नीतीश कुमार को आखिर क्या परेशानी है। दरअसल, जितनी हड़बड़ी इस मामले में लालू को है उतनी नीतीश को नहीं। नीतीश कुमार बहुत ठोक बजाकर राजनीति करते हैं। वे पीएम मैटेरियल घोषित होने के बाद अब अपने को देश स्तर पर स्थापित करना चाहते हैं। ठीक उसी तरह जैसे कि गुजरात से प्रमोट होकर नरेंद्र मोदी देश के पीएम मैटेरियल बने और फिर पीएम की कुर्सी तक पहुंच गए। लेकिन उनके लिए दिक्कत ये ही वो नरेंद्र मोदी की तरह भाजपा जैसे किसी बड़े और राष्ट्रीय. दल से ताल्लुक नहीं रखते हैं। उन्हें गैर भाजपा ताक़तों ख़ासकर समाजवादियों को एकजुट करते हुए अपने समर्थन में खड़ा करना है। इसलिए वे एक तरफ राष्ट्रीय राजनीति में खुद को स्थापित करने में लगे हैं तो दूसरी तरफ़ बिहार में खुद को मज़बूत बनाए रखना चाहते हैं। नीतीश के लिए दिल्ली का रास्ता बिहार से होकर ही जाता है। बस यही वज़ह है कि नीतीश बिहार में इतनी जल्दी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करने जा रहे हैं। जानकारों का ये भी मानना है कि तेजस्वी यादव को सीएम मैटेरियल घोषित होने में 2019 के लोकसभा चुनाव तक का इंतज़ार भी करना पड़ सकता है। तेजस्वी की किस्मत साथ दे और नीतीश किसी तरह 2019 में पीएम की कुर्सी तक पहुंच जाएं तो फिर तेजस्वी बिहार के सीएम बन सकते हैं।



कहते हैं कि कोई व्यक्ति खुद से ज्यादा अपनी संतान की तरक्की पर खुश होता है। इस मामले में लालू प्रसाद की हड़बड़ी समझी जा सकती है। वैसे तेजस्वी की क्षमता पर नज़र रखने वाले ये जानते हैं कि उनकी राजनीति दिनो दिन परिपक्व हो रही है। तेजस्वी में एक राज्य का सीएम बनने के गुण विद्यमान हैं। अब तो ये समय ही बताएगा कि तेजस्वी यादव सीएम मैटेरियल और फिर बिहार का सीएम कब तक बन पाते हैं।

4 comments:

  1. vaisey bhi nitish kumar poorv cm jitan ram maanjhi ko cm bana kar parinam bhugat chukey hain. aisi paristhithiti mey vey thok baja kar kuchh bhi nirnay karengey. ullekhniya hai ki dudh ka jala chhach bhi fuk fuk kar pita hai.

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  2. रोशन जी, प्रतिक्रिया देने के लिए आपका धन्यवाद.

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  3. baat toh bilkul thik hain ki तेजस्वी यादव sahi rahenge bihar ke CM material par parsent CM ke andr ye uljhan sayad ho ki anouncement ke baad wo "na ghar ki rahe na ghat ke".

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  4. धन्यवाद अर्पण जी.

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