Wednesday, April 27, 2016

नीतीश के मंत्री-विधायक शराबी, मोदी के बेदाग !


बिहार में शराबबंदी के बावजूद पीने-पिलाने का दस्तूर ज़ारी है। मीडिया के स्टिंग में माननीयों की भी पोल खुल रही है। इसकी वज़ह से सूबे में शराब पर सियासत ज़ारी है। विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने सीएम नीतीश कुमार पर कड़ी टिप्पणी की है। सूबे के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार के आधे से ज्यादा मंत्री और विधायक शराबी हैं। उन्होंने एक विधायक का नाम लेकर उनकी जांच करवाने की चुनौती भी दे डाली है। लगे हाथों उन्होंने भाजपा के विधायकों को पाक साफ़ भी क़रार दे दिया। सुमो के बयान पर पलटवार करते हुए जदयू ने उन पर मान हानि का मुक़दमा करने की धमकी दे दी। पक्ष-विपक्ष की इस तक़रार के पीछे जनता की भलाई कम राजनीति ज्यादा दिख रही है।

बिहार में पूर्ण शराबबंदी निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक फ़ैसला है। नीतीश कुमार के इस फ़ैसले का न सिर्फ बिहार बल्कि देश-विदेश में स्वागत हुआ है। इसके चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं। इसके बावजूद सूबे में शराबियों ने अभी हार नहीं मानी है। बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से न सिर्फ शराब की तस्करी हो रही है बल्कि पियक्कड़ों के लिए इन सीमाओं के पार विशेष इंतज़ाम भी किये जा रहे हैं। हद तो तब हो रही है जब सत्ताधारी दल के एक माननीय को मीडिया के स्टिंग आपरेशन में शराबबंदी का माखौल उड़ाते और शराब आफर करते पकड़ा गया है। इससे चिंता बढ़नी स्वाभाविक है। ये सभी मामले नीतीश कुमार के लिए भी चिंता का विषय हैं। सीएम ने ये चिंता सार्वजनिक तौर पर ज़ाहिर भी की है। इन मामलों के सामने आने के बाद विपक्ष का कटाक्ष और चुनौती एकबारगी ग़लत नहीं ठहराए जा सकते हैं।

बिहार में मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पहले तो शराबबंदी को अपने दबाव का परिणाम बताकर आत्म संतोष किया और उसके बाद सूबे में पकड़े जा रहे शराब के मामलों को दिखाकर अब दबाव बना रही है। लेकिन ऐसा करते हुए राजनीति की मान्य सीमायें लांघी जा रही हैं। ये एक आम धारणा है कि राजनीति में रहने वाले लोग कई दुर्गुणों के शिकार होते हैं। शराबी होना भी उनमें शामिल है। नशे की लत ऐसी होती है कि वो छुड़ाए नहीं छूटती। ये बात अगर राजद, जदयू और कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के लिए कही जा सकती है तो फिर भाजपा या किसी अन्य दल के विधायकों के लिए क्यों नहीं। सुशील मोदी अपने दल के विधायकों को क्लिन चिट किस आधार पर दे सकते हैं। क्या किसी मान्य संस्था ने भाजपा के विधायकों के लिए सर्टिफिकेट ज़ारी कर रखा है। शायद सुमो इस सिद्धांत पर बयानबाज़ी कर रहे हैं- ‘पकड़ा गया वो चोर है, जो बच गया वो सयाना है…’ ये सही है कि भाजपा का कोई विधायक फिलहाल शराब के मामले में चर्चा में नहीं है।

बिहार में शराबबंदी हुए अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन ही हुए हैं। निश्चित रूप से इस कानून के पालन में अभी कई खामियां दिख रही हैं। अगर ये कहें कि नीतीश कुमार के लिए शराबबंदी के फ़ैसले पर अडिग रहना बहुत बड़ी चुनौती है, तो ग़लत नहीं होगा। लेकिन ये भी सच्चाई है कि नीतीश ने कई मामलों में अपनी दृढ़ राजनीतिक क्षमता का परिचय दिया है और वे सफल हुए हैं। इसलिए जनता को थोड़ा समय देना होगा। राजनीतिक बयानबाज़ियां तो चलती ही रहेंगी। असल बात ये है कि शराब की कुरीति पर लगातार चोट ज़ारी रहे।

1 comment:

  1. नीतीश कुमार के लिए बडी परीक्षा है शराबबंदी.

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