Monday, April 25, 2016

लालू को खटकने लगी नीतीश की ताक़त !



बिहार की महागठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। जानकारों का कहना है कि छोटे भाई नीतीश कुमार की शासन की शैली से बड़े भाई लालू प्रसाद नाराज़ चल रहे हैं। लालू ने राजद के मंत्रियों की एक गुप्त बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना में बदलाव पर विचार किया है। कहा जा रहा है कि सरकार में भागेदारी और महागठबंधन में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद लालू प्रसाद के सुझावों पर ग़ौर नहीं किया जा रहा है। इसकी वज़ह से नाराज़गी है। अपने कोटे के मंत्रियों को अलग से बुलाकर विचार-विमर्श करके लालू नीतीश कुमार को दो टूक संदेश देना चाहते हैं।


पटना में लालू प्रसाद ने अपने कोटे के मंत्रियों की अचानक और ठीक उसी समय अपने आवास पर अलग बैठक बुलाई जब नीतीश कुमार मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे थे। हालांकि लालू की बैठक में राजद के तीन ही मंत्री समय पर पहुंच सके। बाकी मंत्री नीतीश की बैठक से निकलकर लालू के आवास पर आए। तब तक देर हो चुकी थी इस लिए लालू ने अपने मंत्रियों को नई तिथि पर बुलाने की बात कहकर वापस भेज दिया।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार लालू प्रसाद की नाराज़गी के कई कारण हैं। लालू महागठबंधन सरकार में शामिल सबसे बड़े दल के मुखिया हैं। उनका बिहार में सरकार चलाने का लंबा अनुभव रहा है। वे अपनी ख़ास शैली के लिए जाने जाते रहे हैं। विगत विधानसभा चुनाव में जब वर्षों के बनवास के बाद लालू बिहार की सत्ता में वापस लौटे तो उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें पुरानी शैली में काफी हद तक शासन करने का म़ौका मिलेगा। राजद के कार्यकर्ता और लालू से जुड़े लोग भी काफी आशान्वित थे। 


शुरू में लालू अपने पुराने फॉर्म में आते दिखे। कभी बेटे तेज प्रताप के विभागों की मीटिंग में पहुंचकर समीक्षा करते तो कभी तेजस्वी की बैठकों में। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देने भी शुरू किए। इसको लेकर मीडिया में उन्हें ‘सुपर सीएम’ तक कहा गया। लेकिन लालू को संतुष्टि नहीं मिली। बिहार में शासन नीतीश के निर्देश पर चलता रहा। लालू ने शुरू में एक शिगूफ़ा और छोड़ा कि वे केंद्र की राजनीति करेंगे जबकि नीतीश बिहार संभालेंगे। संयोग से लालू का ये दांव भी बेकार चला गया। 


लालू ने बिहार में अपने बेटों के करिअर को देखते हुए नीतीश को पीएम मैटेरियल बताकर उन्हें देश की राजनीति में आगे बढ़ने की छूट दे दी। बदले में उन्हें उम्मीद थी कि बिहार में बेटों के माध्यम से वे शासन करेंगे।लेकिन आज की तारीख में नीतीश बिहार में तो मज़बूत हैं ही, देश में भी उनका राजनीतिक कद बढ़ता जा रहा है। अब लालू खुद को काफी हद तक बेबस महसूस कर रहे हैं। इसलिए वे सरकार में अपनी ताक़त दिखाने के मूड में आ गए हैं।


लालू ने बिहार में जल संकट और आगलगी की घटनाओं पर नियंत्रण को लेकर सरकार को कई सुझाव दिए थे। लेकिन अब तक इन दिशाओं में कोई कारगर पहल होती नहीं दिख रही है। लालू को लगता है कि सूबे की जिस ग़रीब-दलित-पिछड़ी जनता ने उन्हें चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें देकर सत्ता में भेजा है अगर उसकी नाराज़गी बढ़ी तो राजद का जनाधार घटता जाएगा। इसलिए भी लालू सरकार पर नियंत्रण चाहते हैं। लालू का राजद के मंत्रियों के साथ अलग से बैठक करने का उद्देश्य न सिर्फ अपने मंत्रियों को, विभागों के लिए, अपने हिसाब से टास्क देना है, बल्कि वे नीतीश पर दबाव बनाना भी चाहते हैं। देखना होगा कि नीतीश कुमार पर अपने हिसाब से दबाव बनाने की रणनीति पर लालू कितने कामयाब हो पाते हैं।

3 comments:

  1. वैसे महागठबंधन सरकार के भविष्य पर कोई ख़तरा नहीं है.

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  2. ये तो होना ही है. लालू जी महत्वाकांक्षी हैं तो नीतीश भी कम नहीं. नीतीश जी सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं, किसी को भी गले लगा सकते हैं, चाहे वो अब भी भाजपा ही क्यों ना हो. आज के परिदृश्य में भाजपा की भी रणनीति किसी से छुपी नहीं है.
    लालू जी, की नजर इधर भी है. सोच सकते है कि महागठबन्धन में ज्यादा सीट लाकर भी मुख्य पद से वंचित रहे, कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी. अब-तक लालू जी सबकुछ समझते हुए, आगे की रणनीति बना रहें हैं और देखिएगा वो ऐसी-ऐसी हरकत करेंगे कि नीतीश जी लाचार होकर इस्तीफा देने पर मजबूर हो जाएं और लालू जी को मौका मिल जाए कि देखो, हमने तो साथ दिया ये गद्दार निकले. लालू जी नीतीश जी को ले डूबेंगे.

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  3. वाह! आपने तो महागठबंधन का भविष्य भी बता दिया.

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