Wednesday, April 20, 2016

ये जो भगवा रंग में रंगे नीतीश हैं



बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संघ मुक्त, भाजपा मुक्त भारत बनाने की मुहिम क्या छेड़ी, देश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया। भगवाकरण के विरोधियों को तो नीतीश के रूप में एक नया योद्धा मिल मिल गया। वहीं भगवा और भाजपा समर्थकों में इस योद्धा का चक्रव्यूह तोड़ने की होड़ मच गई। वो तो गनीमत है कि खुद संघ ने क़ड़ाई से मना कर दिया नहीं तो नीतीश कुमार के अतीत का भगवा रंग अब तक देश भर में होली के रंग की तरह बरस रहा होता और भाजपा उसमें नीतीश को गोत गोत कर पछाड़ रही होती। दरअसल संघ की इस मनाही के कई मायने हैं, जो भविष्य की राजनीति के मानक पर तय होते हैं।



जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार देश के वैसे नेताओं में से एक हैं जो भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी और वामपंथी समेत कई राजनीतिक समीकरणों में फिट बैठने की ग़जब की क्षमता रखते हैं। वे अवसर को देखकर राजनीतिक लक्ष्य और दिशा दोनो बदलने में माहिर हैं। नीतीश कुमार पीएम बनने का ख़्वाब अरसे से पाले हुए हैं। एक दफा भाजपा ने उन्हें पटखनी दे दी तो अगले ही साल बिहार में उन्होंने पाला बदला और भाजपा की औकात बता डाली। बिहार की जनता को अपने सबसे बड़े दुश्मन के रूप में दिखाते आए लालू प्रसाद के साथ गलबहियां कर उन्होंने भाजपा को ऐसे बवंडर में फंसाया, जिससे निकलने के लिए वो आज तक छटपटा रही है। अब अपने पीएम के ख़्वाब में हक़ीकत के रंग भरने की एक और बारी आई है तो नीतीश इसका पूरा फ़ायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए वे संघ मुक्त और भाजपा मुक्त भारत बनाने का आह्वान कर खुद के लिए राष्ट्रीय स्तर का समर्थन जुटा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस को पता है कि संघ और भाजपा मुक्त भारत की मुहिम चलाते चलाते नीतीश कांग्रेस को ही पटखनी दे सकते हैं। वे भाजपा की गोद में दोबारा बैठकर कांग्रेस की मिट्टी पलीद कर सकते हैं।



दूसरी ओर भाजपा तो नीतीश कुमार की अवसरवादिता की कायल है ही। नई परिस्थिति में भाजपा चाहे तो नीतीश कुमार के संघ मुक्त भारत की मुहिम की एक झटके में हवा निकाल दे। पार्टी ने लगभग एकमत से ये राय बना ली थी कि नीतीश को इस मुद्दे पर उन्हीं के अंदाज़ में घेर लेना है। जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार से संबंधित अनगिनत तस्वीरें, ऑडियो और विडियो क्लिप भाजपा ने जुटा रखे हैं जिनमें नीतीश कुमार संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने और उद्घाटन करने से लेकर भाषण करते दिख रहे हैं। अगर इन सामग्रियों को सार्वजनिक किया गया तो नीतीश की संघ मुक्त भारत की मुहिम की हवा निकल जाएगी। लेकिन संघ ने भाजपा को ऐसा करने से स्पष्ट मना कर दिया है। संघ को लगता है कि नीतीश कुमार भाजपा के लिए भविष्य में भी सहयोगी साबित हो सकते हैं। संघ का मानना है कि नीतीश फिलहाल अपना राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए ही संघ मुक्त भारत की बात कह रहे हैं। उसका ये भी मानना है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार बनाने के क़रीब नहीं पहुंचती है तो ऐसे समीकरण बनाने का प्रयास करेगी जिसमें नीतीश उसके सहयोगी बने। जानकारों का मानना है कि संघ की ये सोच नीतीश के राजनीतिक स्वभाव को देखते हुए बिल्कुल सही है।


हालिया घटनाओं पर नज़र डालें तो पहले शरद यादव की जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से छुट्टी, फिर लालू को झुकने पर मज़बूर करना और अब संघ मुक्त भारत का आह्वान ये ऐसे अस्त्र हैं जिनके बूते नीतीश दिल्ली के क़रीब आना चाहते हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनो राष्ट्रीय दलों की नज़र नीतीश पर बराबर लगी हुई है। आने वाले तीन सालों में नीतीश अगर इतने मज़बूत हो पाएं कि वो कांग्रेस और भाजपा के बगैर केंद्र की सत्ता पर कब्ज़ा कर लें, तब तो इतिहास रच डालेंगे। लेकिन अगर सफल नहीं हो सके तो संभावना ये भी बनती है कि नीतीश एक बार फिर से भगवा रंग में रंगे दिख जाएं।

1 comment:

  1. क्या भाजपा ने कोई भीतरी समझौता कर लिया है.

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