Tuesday, April 19, 2016

वीपी सिंह की अगली कड़ी होंगे नीतीश कुमार !


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाजवादी नेताओं की जमात में वर्तमान में देश में सबसे बड़े कद के नेता बनकर उभरे हैं। जानकारों का मानना है कि देश के कई सूबों में बिखरे पड़े समाजवादी नेताओं की मदद से नीतीश कुमार 2019 में देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोए हुए हैं। जानकारों का ये भी मानना है कि वे अगर पीएम की कुर्सी तक पहुंचते हैं तो गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई प्रधानमंत्रियों में वीपी सिंह की अगली कड़ी साबित हो सकते हैं।

अगर गहराई से पड़ताल करें तो पाएंगे कि नीतीश कुमार भले ही गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी शक्तियों को एकत्र करने में जुटे हों लेकिन वे पूरी तरह से गैर कांग्रेसवाद और गैर भाजपावाद के समर्थक नहीं हैं। दरअसल वे अवसर को भुनाने की ग़जब की क्षमता रखने वाले बेजोड़ नेता हैं। नीतीश समाजवादियों की मदद से देश में अपना कद बढ़ाएंगे। लेकिन कोई आश्चर्य नहीं कि वे देश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के लिए भाजपा और कांग्रेस की सहायता लें। नीतीश शरद यादव को किनारे लगाकर पहली सफलता भी पा चुके हैँ। पद छोड़ते हुए शरद यादव की आंखों के आंसू और बाद में लालू का ये बयान कि अब शरद यादव का राजनीतिक करिअर समापन पर है, इसी को दर्शाते हैं। दरअसल लालू के बयान में नीतीश के बढ़ते कद के संदर्भ में दूसरे समाजवादी नेताओं की चिंता की झलक भी दिखती है।

नीतीश अपने मिशन की अगली कड़ी में लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव, रामविलास पासवान जैसे समाजवादी ब्रांड के नेताओं को पीछे छोड़कर दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा क़रीब आना चाहेंगे। लेकिन दिक्कत ये है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के दूसरे अन्य राज्यों के रास्तों से चले बिना दिल्ली नीतीश के लिए बहुत दूर है। इसलिए वे लालू, मुलायम और पासवान से एकबारगी दूरी नहीं चाहेंगे।

गहराई से पड़ताल करने पर ये भी पता चलता है कि नीतीश कुमार भले ही गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई पीएम बनना चाहते हों लेकिन वे बड़ी चालाकी से इस काम में भाजपा और कांग्रेस की मदद लेंगे। ये दोनो राष्ट्रीय पार्टियां अपनी अपनी मज़बूरियों की वज़ह से नीतीश के प्रति नरमी बरतती रहेंगी। कांग्रेस जहां भाजपा को पीछे करने और बिहार में सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश को साथ रखेगी वहीं भाजपा बिहार में लालू को पटखनी देने के लिए नीतीश को क़रीब रखेगी. अगर परिस्थितियां जटिल बनीं तो इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि दोनो राष्ट्रीय दलों में से किसी की सहायता से नीतीश देश के पीएम बन बैठें। इस लिहाज़ से भी नीतीश वीपी सिंह की अगली कड़ी साबित हो सकते हैं।

गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा दलों के प्रधानमंत्रियों में वीपी सिंह ऐसे पीएम रहे जिन्होंने देश की राजनीति में एक तूफान खड़ा कर दिया था। मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करना मधुमक्खियों के ऐसे छत्ते में हाथ डालना था जिसमें जख्मी होना तय था। फिर भी वीपी सिंह ने ऐसा किया। और वे इतिहास में अमर हो गए। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव, रामविलास पासवान जैसे कई नेता जेपी के बाद वीपी की नीतियों से उपजी जन आकांक्षा का सबसे ज्यादा फायदा उठा लेने वाले नेता साबित हुए हैं।

आकलन ये भी कहता है कि नीतीश कुमार कई मायनो में वीपी सिंह से आगे निकल सकते हैं। बिहार में जिस तरह की सोशल इंजीनियरिंग, अवसर की समझ और जनता की नब्ज़ पकड़कर उन्होंने ऊंचाई पाई है उससे उनके नेतृत्व की बेजोड़ क्षमता का पता चलता है। अगर वे पीएम बने तो ऐसे कई नए फैसले कर सकते हैं जिनका देश की राजनीति में दूरगामी असर पड़ेगा। इस तरह वे न सिर्फ वीपी सिंह को पीछे छोड़ेंगे बल्कि देश के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेंगे।

नीतीश कुमार इसलिए भी ज्यादा मज़बूत हैं क्योंकि उनके साथ प्रशांत किशोर जैसा आधुनिक चाणक्य है। कई इतिहासकार बताते हैं कि चाणक्य बाहर से चलकर मगध आए थे और उन्होंने सामाजिक रूप से पिछड़े एक ऐसे व्यक्ति को देश के सबसे बड़े और मज़बूत मगध साम्राज्य का सम्राट बना डाला जिस पर कभी खुद को शक्तिशाली बताने वाले नंद वंश का शासन था। संयोग से ये वही बिहार है जो कभी मगध साम्राज्य का केंद्र था। हालांकि ये सिर्फ आकलन है। नीतीश कुमार का पीएम बनना भविष्य के गर्भ में है।

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