Tuesday, April 19, 2016

नीतीश कुमार का पद और कद बढ़ने के मायने

बिहार के सीएम नीतीश कुमार अब जनता दल (युनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं. इस मनोनयन के कई बड़े मायने हैं जो बिहार और देश ख़ासकर उत्तर भारत की राजनीति को प्रभावित करेंगे.नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं. उन्होंने बिहार में कई ऐसे महत्वपूर्ण काम किए जिनसे वो अपनी पीएम की दावेदारी को मज़बूत कर सकें. कई मायनो में सफल भी हुए. लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने उनके सपनो को चकनाचूर कर दिया. तब उन्होंने अपने पुराने साथी और बड़े भाई लालू को साथ लिया और बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा से उसका बदला ले लिया. उसके बाद बिहार में भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया.अब नीतीश कुमार एक तरफ़ तो भाजपा और मोदी से अपना कद बढ़ाने के लिए पद बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ़ बड़ी चालाकी से लालू का कद अपने मुक़ाबले घटा रहे हैं. इसी रणनीति का एक हिस्सा है उत्तर भारत के कुछ समाजवादी दलों को अपने साथ विलीन करना और उनका नेता बनकर उभरना.

हालांकि नीतीश की राह में कई रोड़े हैं. पहला तो ये कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है और उसके पास अभी केंद्र में तीन साल से ज्यादा का समय है. नीतीश को बिहार का विकास करना है तो इसके लिए केंद्र से बेहतर संबंध बनाना होगा. दूसरी तरफ भाजपा नीतीश का कद नहीं बढ़ने देगी. इसके लिए उसके पास बिहार के कई फंड बड़े हथियार हैं.

लालू प्रसाद ने बिहार में महा गठबंधन की सरकर बनने के तुरंत बाद ये एलान किया था कि अब नीतीश बिहार संभालेंगे और खुद लालू देश में घूमकर राजनीति करेंगे. लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा. आज की तारीख में लालू के पास बेटों के माध्यम से शासन-सत्ता में दखल देने के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि दर्ज़ नहीं हो सकी है. वे नीतीश का कद और पद बढ़ता देख रहे हैं. जो काम वे करने चले थे वही काम नीतीश ने अपवे हाथों में ले लिया. मतलब बिहार और देश दोनो नीतीश ही देख रहे हैं..

इन स्थितियों को देखते हुए नीतीश के लिए कई राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव बहुत मायने रखते हैं. या तो नीतीश इन चुनावों में अपनी ताक़त बढ़ा लें या फिर किसी तरह भाजपा की ताकत कमज़ोर करवा सकें. दूसरी तरफ़ लालू की महत्वाकांंक्षा को रोक कर रख सकें. तभी वे देश की राजनीति में अपना कद बढ़ा सकेंगे और पीएम की कुर्सी तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे.

वैसे बिहार और नीतीश की राजनीति के जानकार ये समझते हैं कि नीतीश बिहार की सत्ता को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहेंगे. इसलिए अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के बावजूद वो लालू और भाजपा दोनो के साथ समय समय पर नरमी बरतेंगे. लालू अगर ज्यादा उछले तो नीतीश के सामने कम से कम बिहार में तो विकल्प के रूप में भाजपा है ही.

रही बात शरद यादव की तो फिलहाल जदयू में नीतीश का कद सबसे बड़ा है. शरद भले ही आज रो रहे थे इसके बावजूद उन्हें नीतीश को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी सौंपनी पड़ी.देखना ये होगा कि नीतीश के बढ़ते कद को धाकड़ समाजवादी नेता लालू, शरद यादव, मुलायम सिंह और रामविलास पासवान कैसे पचा पाते हैं. क्योंकि समाजवादी नेता समाजवाद का नारा लगाने के बावजूद एक दूसरे का राजनीतिक कद बढ़ता देखना पसंद नहीं करते. इस लिहाज से नीतीश कुमार के जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के मायने बहुत बड़े हैं.

1 comment:

  1. नीतीश कुमार का कद दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दो राष्ट्रीय दलों को इसकी चिंता सताने लगी है।

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